जीवन की शुरुआत - इच्छा
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हमारा सम्पूर्ण जीवन का आधार हमारी इच्छा है | हमारी इच्छाओं के आधार पर ही हमारे कर्म तय होते है |
क्या यह सच नहीं है ?
एक उदाहरण देता हूँ - मुझे अगर अपनी कक्षा में सबसे अधिक अंक लाने है तो में क्या करूँगा ? निश्चित ही ज्यादा पढाई करूँगा |
अतः यह बात तो स्पष्ट है की हमारे कर्म हमारी इच्छाओं के अनुसार होते है |
लेकिन अभी यह बात स्पष्ट नहीं हुयी है की इच्छा हमारे सम्पूर्ण जीवन का आधार है |
कल्पना कीजिये की एक छोटा सा पौधा सूख रहा है | लेकिन आप तुरंत उस पौधे में पानी डाल देते है | कुछ समय बाद वह पौधा वापस ठीक होकर तेज़ी से बढ़ने लगता है |
क्या सिर्फ आपके द्वारा पौधे में पानी डालने से वह बढ़ने लग गया ?
"नहीं "
उस पौधे में ज़िन्दा रहने की इच्छा पहले से थी इसीलिए आपके पानी डालने पर पौधा तुरंत उसे सोख लेता है और अपना विकास जारी रखता है | अगर पौधे में जीवन की इच्छा ही नहीं होती तो क्या वह ज़िन्दा बच पाता ?
अतः यह बात स्पष्ट होती है की इच्छा जीवन जीने का आधार है | अतः इच्छाओं के बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है |
तो क्या सिर्फ इच्छा कर लेने से आपको आपकी मंज़िल मिल जाएगी ?
"नहीं"
आपके दैनिक जीवन में आपके अंदर सैंकड़ों इच्छाएं उत्पन्न होती है | क्या वो सभी इच्छाएं पुरी हो जाती है ?
"नहीं"
लेकिन क्यों ?
मुझे एक बात बताइये | क्या आप अमीर बनना चाहते है ? आपका जवाब है - "हाँ " | तो क्या इस पुरी दुनिया में सिर्फ आप ही अमीर बनना चाहते है ? "नहीं " |
इस दुनिया में अरबों लोग अमीर बनना चाहते है , पर कुछ लोग ही अमीर बन पाते है | कुछ लोगों की ही इच्छा पुरी होती है |
क्या आपने कभी सोचा है की क्यों सिर्फ वो लोग ही सफल हो पाये ?
आप ध्यान से सोचेंगे तो पाएंगे - आपको वो मंज़िल कभी नहीं मिलती जिसको पाना आपके लिए बहुत अधिक महत्वपुर्ण नहीं है , जबकि आपको वो मंज़िल जरूर मिलती है जिसको पाना आपके लिए बहुत महत्वपुर्ण है , जिसके लिए आप पुरी ताकत लगा देते हो |
आपके दैनिक जीवन में आपके दिमाग में बहुत इच्छाएं उत्पन्न होती है पर वो तब तक पुरी नहीं होती जब तक वह आपके लिए बहुत अधिक महत्वपुर्ण है |
अतः यह स्पष्ट है की -
(1). जीवन जीने के लिए इच्छा का होना अनिवार्य है |
(2). मंज़िल को पाने के लिए इच्छा का महत्वपुर्ण होना अनिवार्य है |
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By Ashok kumawat
very nice