सर्व गुण सम्पन कोई था ही नहीं मेरा आदर्श कोई एक रहा ही नहीं हर किसी में कुछ खुबिया कुछ कमिया होती है इसीलिए किसी एक को आदर्श बना ही नहीं सका रावण राम का शत्रु था मगर जब राम जी की पूजा करवाई तो शत्रुता तो एक तरफ रख पंडताई भी भी पूरी निष्ठां से करवाई और जीतने का आशीर्वाद भी दिया रावण भी कही न कही एक आदर्श के रूप में मेरे दिल में बसा है जो भगति हनुमान जी कर रहे है वो चाहकर भी हम लोग नहीं कर सकते शायद इसीलिए आज भी जब में ज्योतिष की गद्दी पैर बैठता हु तो भूल जाता हु सामने वाला मेरा दोस्त या या शतु सबके लिए में एक सामान रहता हु कोई एक है ही नहीं मेरा आदर्श