कुंडली में अल्पायु योग:
लग्नेश पापाक्रांत हो पापकर्तरी योग में हो।।
अष्टम भाव में चंद्र हो।
लग्नेश राहु केतु के साथ हो या राहु केतु से दृष्ट हो।
यदि कुंडली मे अल्पायु योग हो तो खाने के समय निम्न बातो का ध्यान रखे और दीर्घायु बने।
मौन होके दांत धावन करे।पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करे।
भोजन करने से पूर्व पाँव धोयेऔर गिला ही रहने दे।
जूठे मुँह खड़ा होना और दौड़ना वर्जित है।
भोजनोपरांत कुल्ला करें और मुँह धोये। एक हाथ मे जल लेकर दाएं पाँव के अंगूठे को धोएं।फिर एकाग्र चित्त होकर हाथ को सर पररखते हुए अग्नि का स्मरण करते हुए स्पर्श करें।
इसके बाद जल से आँख,नाक,कान और नाभि को छुए।पुनः जल से दोनों हथेलियों को धो कर कपड़े से पोंछ लें।
हर रोज महामृत्युंजय का जाप करें। शिव और सूर्य की पूजा करें।
हर रोज सुबह शाम प्राणायाम करें। अल्पायु योग कमजोर हो जयेगा और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होगा
महाभारत(अनुशासन पर्व)