दिवाली पर खास शुभ मुहूर्त 2020

Share

Acharya Rajesh 10th Nov 2020

दिवाली पर खास शुभ मुहूर्त
दिवाली अमावस्या को ही आती है और इस त्यौहार को अक्सर लक्ष्मी पूजा के लिये माना जाता है। लेकिन यह त्यौहार खासरूप से पितरो के लिये जाना जाता है,कई कहानिया कई मिथिहासिक सिद्धान्त अपने अपने रूप मे सबके लिये प्रस्तुत होते है लेकिन यह त्यौहार पूर्वजो के लिये ही खास है,इस त्यौहार के बाद ही देव शयन समाप्त होता है और धर्म कर्म से सम्बन्धित सभी कार्य शुरु हो जाते है,इस दिन पूर्वजो की मान्यता के जो सिद्धान्त ह वे इस प्रकार से माने गये है.
इस त्यौहार को दीपदान के लिये माना जाता है और घर बाहर बाग बगीचा धर्म स्थान तथा पूर्वजो के निमित्त भोग आदि का वर्गीकरण अलग अलग रूप मे किया जाता है.
अन्धकार को प्रकश मे परिवर्तित करने के बाद लोग आपसी मेल जोल तथा एक दूसरे के प्रति सद्भभावना को प्रस्तुत करते है.
गोबर्धन के रूप मे गाय को मान्यता भी पूर्वजो के हित को ध्यान मे रखकर ही की गयी है.
गोबर जो आस्तित्व हीन है उसके लिये भी पूजा की मान्यता केवल हिन्दू धर्म मे ही देखने को मिलती है कारण वही गोबर जब खाद के रूप मे अपना बल प्रदर्शित करता है तो जीव को अन्न और वनस्पति के विकास मे सहायक माना जाता है.
चावल की खील और बतासो का भोग अक्सर पूर्वजो के निमित्त ही किया जाता है.
तीन देवताओ की मान्यता भी पूर्वजो के प्रति की जाती है सन्तान के रूप मे गणेश जी स्त्री सम्बन्धी कारको के लिये लक्ष्मी जी और आसमानी हवाओ और अक्समात बचाव करने वाली देवी सरस्वती की पूजा का दिन भी यही है.
इसी कारण से दीवाली का महत्व पूर्वजो की पूजा के लिये मान्य है.पूर्वजो के लिये दीपदान से पहले अगर सात या नौ दीपक पूर्वजो के नाम से जला कर एक पंगत मे रखे जाये तथा उनकी मान्यता करने के बाद जो भी भोग चढाने के लिये रखे गये है उन्हे चढाना भाग्य और पूर्वजो की कृपा के लिए मावा जाता हैइस बार दिवाली शनिवार, 14 नवंबर के दिन मनाई जा रही है। कई वर्षों के बाद शनिवार के दिन दिवाली मनाई जाएगी जो एक दुर्लभ संयोग है।अगर ग्रहों की चाल के बात करें तो  शनिवार को शनि स्वयं की राशि में होने से दिवाली बहुत ही शुभ लाभकारी होगी। इस बार दीपावली में सन् 1521 यानी 499 साल बाद ग्रहों का दुलर्भ योग देखने को मिलेगा. माना जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला ग्रह गुरु और शनि है. ऐसे में इस वर्ष दीपावली पर धन संबंधी कार्यों में बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, क्योंकि ये दोनों ग्रह अपनी राशि में होंगे. दरअसल, दीपावली में गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे. वहीं, शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच रहेगा. इन तीनों ग्रहों का यह दुर्लभ योग वर्ष 2020 से पहले सन 1521 में 9 नवंबर को देखने को मिला था. इसी दिन उस वर्ष दीपावली मनाई गई थी. गुरु और शनि ग्रह आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले माने जाते हैं.17 साल के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में दिवाली पूजन और उत्सव मनाया जाएगा। दिवाली पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करने की परंपरा होती है। आइए जानते हैं इस दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजन करने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। पहले हम शुरुआत
अभिजीतमुहूर्त से करते हैं जो इस प्रकार है  सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 09  मिनट से शाम  को  4 बजकर 5 मिनट तक
चौघड़िया मुहूर्त 
लक्ष्मी पूजन
दोपहर का समय:  2 बजकर 18 से शाम 4 बजकर 7 मिनट तक
शाम: शाम को 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजकर 8 मिनट तक
रात्रि: रात 8 बजक 50 मिनट से देर रात 1 बजकर 45 मिनट तक
प्रात:काल: 15 नवंबर को सुबह 5 बजकर 4 मिनट से 6 बजकर 44 मिनट तक अमृत की चौघड़िया –14 सांय 20 बजकर 22 मिनट से रात्रि 22 बजकर 58  मिनट तक । यह मुहूर्त शुभ रहेगा।
उसके बाद प्रदोष काल : शाम 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 06 मिनट तक
जो लोगवृषभ काल : में पुजा करना चाहते हैं उनके लिए
वृषभ काल :  शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 7 बजकर 25 मिनट तक और सिंह लग्न लग्न मुहूर्त, 14 नवंबर:  आधी रात 12 बजकर 05 मिनट से देर रात 2 बजकर 20 बजकर मिनट तक रहेगा

महानिशीथकाल
रात्रि 23 बजकर 39 मिनट से सुबह 24 बजकर 32 मिनट तक महानिशीथकाल रहेगा।  रात्रि के 24:05:40 से 26:19:19  तक सिंह लग्न है और सिंह लग्न में पूजा करना बहुत अच्छा माना गया है।पर  सिंह लग्न में अमावस्या तिथि समाप्त हो जाती है यह भी ठीक नहीं है। तथा इसी लग्न में काल की चौघड़िया मुहूर्त है अतः मेरे अनुसार यह काल सामान्य गृहस्थजीवन के लिए उपयुक्त नहीं है। हाँ महानिशीथकाल में महाशक्ति काली की उपासना, यंत्र-मन्त्र तथा तांत्रिक अनुष्ठान और साधना करने के लिए यह काल विशेष रूप से प्रशस्त है।
महानिशीथकाल में तांत्रिक कार्य करना अच्छा माना जाता है। इस काल में कर्मकांडी  कर्मकाण्ड, अघोरी यंत्र-मंत्र-तंत्र आदि कार्य व विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं। अवधि में दीपावली पूजा करने के बाद घर में एक चौमुखा दीपक रात भर जलते रहना चाहिए। यह दीपक लक्ष्मी, सौभाग्य रिद्धि सिद्धि   के प्रतीक रूप में माना गया है।


Like (1)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।