दिवाली पर खास शुभ मुहूर्त 2020
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दिवाली पर खास शुभ मुहूर्त
दिवाली अमावस्या को ही आती है और इस त्यौहार को अक्सर लक्ष्मी पूजा के लिये माना जाता है। लेकिन यह त्यौहार खासरूप से पितरो के लिये जाना जाता है,कई कहानिया कई मिथिहासिक सिद्धान्त अपने अपने रूप मे सबके लिये प्रस्तुत होते है लेकिन यह त्यौहार पूर्वजो के लिये ही खास है,इस त्यौहार के बाद ही देव शयन समाप्त होता है और धर्म कर्म से सम्बन्धित सभी कार्य शुरु हो जाते है,इस दिन पूर्वजो की मान्यता के जो सिद्धान्त ह वे इस प्रकार से माने गये है.
इस त्यौहार को दीपदान के लिये माना जाता है और घर बाहर बाग बगीचा धर्म स्थान तथा पूर्वजो के निमित्त भोग आदि का वर्गीकरण अलग अलग रूप मे किया जाता है.
अन्धकार को प्रकश मे परिवर्तित करने के बाद लोग आपसी मेल जोल तथा एक दूसरे के प्रति सद्भभावना को प्रस्तुत करते है.
गोबर्धन के रूप मे गाय को मान्यता भी पूर्वजो के हित को ध्यान मे रखकर ही की गयी है.
गोबर जो आस्तित्व हीन है उसके लिये भी पूजा की मान्यता केवल हिन्दू धर्म मे ही देखने को मिलती है कारण वही गोबर जब खाद के रूप मे अपना बल प्रदर्शित करता है तो जीव को अन्न और वनस्पति के विकास मे सहायक माना जाता है.
चावल की खील और बतासो का भोग अक्सर पूर्वजो के निमित्त ही किया जाता है.
तीन देवताओ की मान्यता भी पूर्वजो के प्रति की जाती है सन्तान के रूप मे गणेश जी स्त्री सम्बन्धी कारको के लिये लक्ष्मी जी और आसमानी हवाओ और अक्समात बचाव करने वाली देवी सरस्वती की पूजा का दिन भी यही है.
इसी कारण से दीवाली का महत्व पूर्वजो की पूजा के लिये मान्य है.पूर्वजो के लिये दीपदान से पहले अगर सात या नौ दीपक पूर्वजो के नाम से जला कर एक पंगत मे रखे जाये तथा उनकी मान्यता करने के बाद जो भी भोग चढाने के लिये रखे गये है उन्हे चढाना भाग्य और पूर्वजो की कृपा के लिए मावा जाता हैइस बार दिवाली शनिवार, 14 नवंबर के दिन मनाई जा रही है। कई वर्षों के बाद शनिवार के दिन दिवाली मनाई जाएगी जो एक दुर्लभ संयोग है।अगर ग्रहों की चाल के बात करें तो शनिवार को शनि स्वयं की राशि में होने से दिवाली बहुत ही शुभ लाभकारी होगी। इस बार दीपावली में सन् 1521 यानी 499 साल बाद ग्रहों का दुलर्भ योग देखने को मिलेगा. माना जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला ग्रह गुरु और शनि है. ऐसे में इस वर्ष दीपावली पर धन संबंधी कार्यों में बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, क्योंकि ये दोनों ग्रह अपनी राशि में होंगे. दरअसल, दीपावली में गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे. वहीं, शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच रहेगा. इन तीनों ग्रहों का यह दुर्लभ योग वर्ष 2020 से पहले सन 1521 में 9 नवंबर को देखने को मिला था. इसी दिन उस वर्ष दीपावली मनाई गई थी. गुरु और शनि ग्रह आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले माने जाते हैं.17 साल के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में दिवाली पूजन और उत्सव मनाया जाएगा। दिवाली पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करने की परंपरा होती है। आइए जानते हैं इस दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजन करने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। पहले हम शुरुआत
अभिजीतमुहूर्त से करते हैं जो इस प्रकार है सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से शाम को 4 बजकर 5 मिनट तक
चौघड़िया मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन
दोपहर का समय: 2 बजकर 18 से शाम 4 बजकर 7 मिनट तक
शाम: शाम को 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजकर 8 मिनट तक
रात्रि: रात 8 बजक 50 मिनट से देर रात 1 बजकर 45 मिनट तक
प्रात:काल: 15 नवंबर को सुबह 5 बजकर 4 मिनट से 6 बजकर 44 मिनट तक अमृत की चौघड़िया –14 सांय 20 बजकर 22 मिनट से रात्रि 22 बजकर 58 मिनट तक । यह मुहूर्त शुभ रहेगा।
उसके बाद प्रदोष काल : शाम 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 06 मिनट तक
जो लोगवृषभ काल : में पुजा करना चाहते हैं उनके लिए
वृषभ काल : शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 7 बजकर 25 मिनट तक और सिंह लग्न लग्न मुहूर्त, 14 नवंबर: आधी रात 12 बजकर 05 मिनट से देर रात 2 बजकर 20 बजकर मिनट तक रहेगा
महानिशीथकाल
रात्रि 23 बजकर 39 मिनट से सुबह 24 बजकर 32 मिनट तक महानिशीथकाल रहेगा। रात्रि के 24:05:40 से 26:19:19 तक सिंह लग्न है और सिंह लग्न में पूजा करना बहुत अच्छा माना गया है।पर सिंह लग्न में अमावस्या तिथि समाप्त हो जाती है यह भी ठीक नहीं है। तथा इसी लग्न में काल की चौघड़िया मुहूर्त है अतः मेरे अनुसार यह काल सामान्य गृहस्थजीवन के लिए उपयुक्त नहीं है। हाँ महानिशीथकाल में महाशक्ति काली की उपासना, यंत्र-मन्त्र तथा तांत्रिक अनुष्ठान और साधना करने के लिए यह काल विशेष रूप से प्रशस्त है।
महानिशीथकाल में तांत्रिक कार्य करना अच्छा माना जाता है। इस काल में कर्मकांडी कर्मकाण्ड, अघोरी यंत्र-मंत्र-तंत्र आदि कार्य व विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं। अवधि में दीपावली पूजा करने के बाद घर में एक चौमुखा दीपक रात भर जलते रहना चाहिए। यह दीपक लक्ष्मी, सौभाग्य रिद्धि सिद्धि के प्रतीक रूप में माना गया है।