एक व्यक्ति लगातार मे हनत करता है फिर भी सफल नहीं होता वदले मे अगला व्यक्ति सफल होजाता है। तब दुख भरे शव्दों मे आत्मा से पूछ ता है कि मेरा कसूर क्या है। फिर आवाज उठती है। यदि पत्रिक मे शनि,मंगल, सूर्य, वृहस्पति का योग दसरे,दशवें,, ग्यारहवें भाव सवने तो सफलता मिलती है।चाहे वह लग्न केअनुसार या नवमांश मे हो और यदि ऐसा समबन्ध अग्नि राशि से हो तो अति उत्तम। सफलता आफ के साथ है ।
bahut hi gyanvardhak