काशी-मोक्ष-निर्णय

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Ravinder Pareek 22nd Oct 2020

काशी-मोक्ष-निर्णय  

जो मनुष्य काशीवास के नियमों का पालन करते हुए काशीवास करते हैं ,  वे मुक्त हो जाते हैं ।  क्योंकि  अन्य स्थानों में किया हुआ पाप तीर्थों में छूटता हैं ,   तीर्थों में किया गया पाप सात में से छः मुक्ति-पुरियों  【अयोध्या, मथुरा, काँची, हरिद्वार, उज्जैन तथा द्वारिका】 में छूट जाते हैं ,  किन्तु इन छः पुरियों में किया हुआ पाप भी काशी में छूट जाता है।
काशी में किया हुआ पाप कहीं भी, किसी भी उपाय से नहीं छूटता । अतः काशी-वास करते हुए जो पाप करते हैं , उनको भैरवी यातना भोगनी पड़ती है ।  वह थोड़े ही दिनों की है ,  किन्तु यम-यातना से भयंकर है ।  उस यातना को भोगने के बाद काशी में जन्म लेकर मुक्त होते हैं ।

काशी में आत्म-हत्या करने वालों का कल्याण नहीं होता , परन्तु जो केदार-खण्ड में शरीर त्यागते हैं , उन पापियों को मरने के बाद भैरवी-यातना भी प्राप्त नहीं होती है ।

भाव यह है कि काशी में मरने वाला चाहे किसी भी देवता का भक्त हो ,  हिन्दू , मुसलमान , सिक्ख , ईसाई ,  यहूदी ,  पारसी , जैन , बौद्ध , आस्तिक ,  नास्तिक --- कोई भी हो ;  वह कल्याण चाहता हो या न चाहता हो ;  काशी-महक्षेत्र में शंकर जी ने कल्याण-क्षेत्र खोल रखा है , जबर्दस्ती कल्याण किया जाता है । 
मनुष्य ही नहीं !   पशु- पक्षी- कीट- पतंग- मछली- कछुआ- लता- औषधि- वनस्पति ------ आदि भी  सभी काशी में तीनों शरीरों को ज्ञानरूपी अग्नि से भस्म करके मुक्ति पाते हैं ।
इसीलिए काशी का दूसरा नाम महाश्मशान है ।  श्मशान में जीव का स्थूल-शरीर नष्ट होता है ,  परन्तु काशी में तीनों शरीर नष्ट होने के कारण इसे महाश्मशान कहते हैं।
"काशी-रहस्य"  नामक ग्रन्थ में तथा "शैवागम"  में कहा है कि  काशी में मरने वाले यति के पास त्रिशूल, डमरू धारी शंकर जी आते हैं  ।   जब उसकी मूर्च्छा दूर होती है ,  तब उसके कान में तारक-मन्त्र सुनाते हैं ।
मूर्च्छा-काल में वह भगवान् के रूप को देखता है, होश में आने पर वे लुप्त हो जाते हैं ।  अतः जो बुद्धिमान हैं , उनकी बुद्धिमानी इसी में है कि वे काशी का सेवन करें ।
"काशी-रहस्य"  में व्यास जी कहते हैं  बड़ा सा पत्थर उठाकर अपने दोनों पैरों पर मारकर चाहे उन्हें तोड़ दें , किन्तु काशी के बाहर न जाये । काशी का त्याग करने वाला महामूर्ख है ।
जो काशी-वास करते हुए भी काशी-वास के नियमों का पालन नहीं करता , उसके लिए काशी मगहर के समान तथा शीतल गङ्गा भी अंगार-वाहिनी है ।
पूर्व-पूण्य के बिना काशी-वास नहीं प्राप्त होता ।  कई लोग काशी-वास करना चाहते हैं किन्तु नहीं कर पाते ।  इच्छा होने पर भी काशी के कोतवाल कालभैरव के दूत सम्भ्रम-विभ्रम काशी छुड़ा देते हैं।


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Suman Sharma

काशी-मोक्ष-निर्णय


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काशी-मोक्ष-निर्णय


Suman Sharma

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छः पुरियों में किया हुआ पाप भी काशी में छूट जाता है।


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अयोध्या, मथुरा, काँची, हरिद्वार, उज्जैन तथा द्वारिका


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madan mohan

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