ग्रहों का शुभ व पाप प्रभाव
Shareसूर्य से लेकर केतु तक सभी नव ग्रहों को दो श्रेणियां प्रदान की गई हैं नैसर्गिक या स्वाभाविक गुणों के कारण. जिन ग्रहों को शुभ श्रेणी में रखा गया है वह ग्रह बुध, बृहस्पति व शुक्र ग्रह है। बुध शुभ ग्रहों के साथ होने पर शुभता देने वाला होता है, जबकि अशुभ ग्रहों के प्रभाव आने पर अशुभता भी देता है. शुभ ग्रहों के ऊपर पडने वाला प्रभाव ग्रह के साथ संगति कर रहे ग्रहों यानि युति कर रहे ग्रहों व दृृष्टि प्रदान करने वाले ग्रहों के ऊपर भी निर्भर करता है, इन्हीं सब कारणों से कई बार शुभ फल देने वाले ग्रह विपरीत आचरण करते हुए अशुभ फल प्रदान करते हैं और अशुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह भी शुभ फल प्रदाता हो जाते हैं. ऐसा ही चंद्रमा के विषय में भी कहा गया है कि चंद्रमा यदि केवल शुभ ग्रहों से ही दृष्ट हो तो शुभ फल प्रदान करता है. चंद्रमा के शुभाशुभ फल को पक्ष व तिथि के आधार पर भी निर्धारित किया गया है. शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि तक चंद्रमा को शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह के रूप में देखा जाता हैं. कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि से शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि तक चंद्रमा को क्षीण प्रभाव के कारण अशुभ फल देने वाले ग्रह के रूप में बताया जाता हैं. पाप ग्रहों की श्रेणी में सूर्य, मंगल, शनि, राहू व केतु ग्रह को रखा गया है.
मनीष दुबे, ज्योतिष पारंगत