नटखट नंद गोपाल, यशोदा के नंद लाल, भक्तों के भगवान श्री कृष्ण, गोपियों के कान्हा, राधा का बंसीवाला, आदि न जाने किन-किन नामों से प्रसिद्ध है बांके बिहारी श्री कृष्ण। जिनका जन्म उत्सव हर वर्ष बड़ी धूमधाम से एक पर्व की तरह मनाया जाता है। श्री जन्माष्टमी का महत्व हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी के व्रत एवं पूजन का हमेशा से ही अपना एक विशेष महत्व रहा है। उन्ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवा अवतार बताया गया है। जिनके दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त दुःख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज का दर्जा दिया गया है। जिसका मतलब ये हुआ कि जो भी भक्त इस दिन व्रत करके सच्ची श्रद्धा के साथ उसका पालन करता है तो उसे अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष जैसे अशुभ प्रभावों और दोषों को भी इस व्रत के द्वारा दूर किया जा सकता है। सुखी जीवन के लिए इस जन्माष्टमी ज़रूर करें ये महाउपाय कृष्ण जन्माष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त अनुसार व्रत करके प्रेम में सफलता और उसमें बढ़ोत्तरी हेतु गाय के दूध से भगवान कृष्ण को भोग लगाना चाहिए, साथ ही उनका पंचामृत से अभिषेक भी करना चाहिए। व्यक्ति अपने किसी भी प्रकार के भौतिक सुख और जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भी भगवान श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगा सकता है। इसके पश्चात कच्ची लस्सी से उनका अभिषेक करना आपके लिए शुभ रहेगा। किसी भी प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्ति पाने के लिए दूध में तुलसी डालकर भगवान को भोग लगाएँ और कच्चे दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से आपकी स्वास्थ संबंधी हर समस्या दूर हो जाएगी। यदि आपको अपने कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा महसूस हो रही है तो आपको इस दिन भगवान श्री कृष्ण को लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए, साथ ही गन्ने के रस से उनका अभिषेक करने से आपको हर कार्य में सफलता की प्राप्ति होगी। यदि आप निःसंतान हैं या संतान सुख चाहते हैं तो इस कृष्ण जन्माष्टमी आपके लिए विशेष रूप से लाभकारी रहने वाली है। इसके लिए केवल आपको पूरे विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण का पूजन और व्रत करना होगा। साथ ही संतान गोपाल मंत्र का जाप और मुमकिन हो तो संतान गोपाल यंत्र की स्थापना करके भी आप बाल गोपाल को प्रसन्न कर सकते हैं। “ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।।”
Radhey Radhey
Nice article. Vishwajeet Bhutra