राहु को रूह की उपाधि दी गयी है। आइये कुछ अनुभव आप सबसे शेयर करते है http://www.futurestudyonline.com/astro-details/89 जब लग्न में हो तो खोपडी पर सवार भूत की तरह काम करता है, धन भाव में हो तो पता नही क्या कह उठे और कहा हुआ सच होने लगे, तीसरे भाव मे हो तो बीसियों लोगों की शक्ति भी उसके सामने फ़ेल हो जाये यानी वह जो कहे वह बात पूरी मानी जाये लडाई पर उतर जाये तो भीड को चीरता हुआ अपने कार्य को पूरा कर जाये चौथे भाव में हो तो हमेशा दिमागी शक के कारण अपने ही जीवन को नर्क बनाले पंचम में हो तो बुद्धि को इतना घुमाये कि परिवार और बुद्धि का पता ही नही लगे कि कितनी बुद्धि है और परिवार कहां पर है, छठे भाव में हो तो अवसर के आते ही कर्जा दुश्मनी बीमारी पर भूत की तरह सवाल हो जाये सप्तम में हो जीवन साथी पर भारी रहे और हमेशा जीवन साथी को प्राप्त करने के लिये अपनी नये नये गुण प्रकट करता रहे साथ ही जो भी जीवन साथी मिले उससे उसकी संतुष्टि नही हो अष्टम में हो तो जीवन साथी के अन्दर कामुकता का इतना प्रभाव देदे कि जीवन में एकान्तीवास और दूर रहने के कारण पैदा कर दे,पहले तो अष्टम का राहु शादी ही नही होने देता है और शादी हो भी जाये तो दूरिया बना दे, नवे भाव में हो तो पूर्वजों की इतनी मान्यता दे दे कि जातक हमेशा अपने पूर्वजों के नाम को बढाता जाये या नीचे गिराता जाये साथ ही धर्म में केवल उन्ही धर्मो को मान्यता दे जो रूह से सम्बन्धित होते है http://www.futurestudyonline.com/astro-details/89 दसवें भाव में हो तो हमेशा बाहर के बडे काम करने की सोचे और कार्य करे तो भूत की तरह लग जाये और नही करे तो आलस से महीनो एक ही स्थान पर पडा रहे ग्यारहवे भाव में हो तो या तो शिक्षा के कार्य नाम लेने वाले करता जाये या शिक्षा का नाम ही बदनाम कर दे,दोस्तों की इतनी भरमार हो कि रोजाना के खाने पीने के खर्चे दोस्ती में ही कमाई को पूरी कर दे और http://www.futurestudyonline.com/astro-details/89 बारहवां राहु या तो कारावास की सजा दिलवादे या जंगल वीराने में आवास की सुविधा देकर अपनी क्षमता को पूरा करने के लिये अपनी शक्ति को अथवा इतना डरा दे कि जीवन नरक की तरह से बीतता रहे।