कब पढ़ना और सुनना शुरू करें श्रीमद् भागवत कथा
"/>कब पढ़ना और सुनना शुरू करें श्रीमद् भागवत कथा
nn
Share*कब पढ़ना और सुनना शुरू करें श्रीमद् भागवत कथा बता रहे हैं प्रसिद्ध एस्ट्रो गुरु नारायण आचार्य* श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप है इसीलिए श्रद्धापूर्वक इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसके पठन एवं श्रवण से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके श्रवण मात्र से श्री विष्णु हृदय में आ विराजते हैं। भागवत में कहा गया है कि बहुत से शास्त्र सुनने से क्या लाभ तो है लेकिन इससे तो व्यर्थ का भ्रम भी बढ़ता है। भोग और मुक्ति के लिए तो एकमात्र भागवत शास्त्र ही पर्याप्त है। हजारों अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ इस कथा का अंशमात्र भी नहीं हैं। फल की दृष्टि से भागवत की समानता गंगा,गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग कोई भी तीर्थ नहीं कर सकता । भागवत के ज्ञाता के लिए रोजगार की समस्या आड़े नहीं आती। आज लाखों लोग भागवत प्रवक्ता बनकर स्वयं धन कमा रहे हैं और दूसरों को भी जीवन-यापन का अवसर प्रदान कर रहे हैं। इस प्रकार भागवत का ज्ञान प्राप्त करके तथा प्रवचनकार बनकर कोई भी व्यक्ति धन के साथ-साथ सम्मान और यश भी अर्जित कर सकता है। *कितना और कब करें पाठ* बहुत दिनों तक चित्तवृत्ति को वश में रखना तथा नियमों में बँधे रहना कठिन है, इसलिए भागवत के सप्ताह श्रवण की विधि उत्तम मानी गई है। भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, आषाढ़ और श्रावण मास के शुभ मुहूर्त में कथा सप्ताह का आयोजन होना चाहिए। फिर भी इसके पठन-श्रवण के लिए दिनों का कोई नियम नहीं है। इसे कभी भी पढ़ा सुना जा सकता है। मात्र एक, आधे या चौथाई श्लोक के अर्थ सहित नित्य पाठ से अभीष्ट फलों की प्राप्ति हो सकती है- जिस घर में नित्य भागवत कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है। केवल पठन-श्रवण ही पर्याप्त नहीं- इसके साथ अर्थबोध, मनन, चिंतन, धारण और आचरण भी आवश्यक है। इस प्रकार दुःखों के नाश, दरिद्रता, दुर्भाग्य एवं पापों के निवारण, काम-क्रोध आदि शत्रुओं पर विजय, ज्ञानवृद्धि, रोजगार, सुख-समृद्धि भगवतप्राप्ति एवं मुक्ति यानी सफल जीवन के संपूर्ण प्रबंधन के लिए भागवत का नित्य पठन-श्रवण करना चाहिए, क्योंकि इससे जो फल अनायास ही सुलभ हो जाता है वह अन्य साधनों से दुर्लभ ही रहता है। वस्तुतः जगत में शुककथा (भागवत शास्त्र) से निर्मल कुछ भी नहीं है। इसलिए भागवत रस का पान सभी के लिए सर्वदा हितकारी है। *हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए और शेयर करने के लिए बहुत-बहुत प्रेम और शुक्रिया।* ᴸᵒᵛᵉ & ᴮˡᵉˢˢᶦⁿᵍˢ ᶠʳᵒᵐ: *डाॅ नारायण* *एस्ट्रो गुरु एवं ध्यान गुरु*