*दीपावली_धनतेरस से भैयादूज तक, पंच दिवसीय दीपोत्सव* धनतेरस/धनवंतरी जयंती, कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को मनाई जाती है, इस बार 10 नवम्बर शुक्रवार दोपहर 12:35 के बाद धन त्रयोदशी का प्रवेश। इसदिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। इसलिए शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन_वैभव देने वाली धन_त्रयोदशी का विशेष महत्व माना जाता है। धनवंतरी को प्रिय धातु पीतल बर्तन व गहने आदि खरीदना शुभ माना जाता है, विशेष रूप से धनवंतरी आयुर्वेद के प्रतीक माने जाते हैं। इसदिन आमला व हल्दी की पूजा करने का महत्व है। प्रदोषकाल में घर के बाहर गृहद्वार में यमराज के लिए। यमदीप चौमुखा या पंचमुखी दीपक जलाने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। दीपदान से सूर्यनंदन यमराज प्रसन्न होते है। शहर के "धारूहेड़ा चुंगी" स्थित,"ज्योतिष संस्थान" ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार *खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त* 10 नवंबर शुभ चौघड़िया दोपहर 12:07 से 01:28 तक, शाम को 04:11 से 05:53 का शुभ मुहूर्त मुहूर्त रहेगा। यमदीप दान, रात्रि 08:50 से 10:29 तक शुभ मुहूर्त रहेगा। *रूप चौदस /नरक चतुर्दशी* कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी 11 नवंबर दोपहर 13:57 से 12 नवंबर दोपहर 14:44 तक रहेगी। शास्त्री के अनुसार, छोटी दीवाली को सायंकाल दीपदान आदि कर सकते है। लेकिन अभ्यंग स्नान 12 नवंबर रविवार को प्रातःकाल हो सकेंगे क्योंकि 12 को ही नरक चतुर्दशी चंद्रोदय व्यापिनी ग्राह्य है, चंद्रोदय के समय अभ्यंग स्नान करने का महत्व है।खेत की मिट्टी से युक्त अपामार्ग की जड़ व पत्तों को लोटे में तीन बार घुमाकर प्रात:काल में चंद्र की किरणों में अभ्यंग स्नान करने से रूप में निखारता आती है। इसीलिए रूप चौदस के नाम से जाना जाता है। *दीपावली महालक्ष्मी पूजन* कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार 12 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में दीपावली का उत्सव मनाया जायेगा। जिसमे प्रदोषकाल का विशेष महत्व होता है। वृषभ लग्न तथा स्वाति नक्षत्र की प्रधानता होती है। निशीथकाल काल में काली पूजा भी संपन्न होगी। "महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान" के अनुसार ज्योतिषीय गणना में सातवीं राशि में सूर्य और चंद्र का मिलन तुलाराशि में ही दीवाली का त्यौहार होता है। दीप जलाते हैं, घर में रोशनी करते हैं, यह तभी करते हैं जब सूर्य सप्तम भाव में आते हैं। अतः दीपों का जलाना ही दीपावली है। पंच दिवसीय त्योहार में प्रतिदिन घी या तेल का दीपक प्रज्जलित करना चाहिए। विशेषत:_कृष्णपक्ष त्रयोदशी से शुक्लपक्ष द्वितीया तक बड़े ही पवित्र दिन है। इन दिनों दान_पुण्य करना अक्षय हो जाता है। लक्ष्मी पूजन में श्रीयंत्र जरूर रखना चाहिए, श्रीयंत्र को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। कुबेर देव देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, दीपावली पर लक्ष्मी के साथ ही इनकी पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा में कमल का फूल और कमल के गट्टे की माला भी रखनी चाहिए। कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी जी के मंत्र का जप होता हैं। देवी लक्ष्मी पूजन में गन्ना जरूर करना चाहिए। महालक्ष्मी की तस्वीर के साथ देवी के चरण चिन्ह की भी पूजा करनी चाहिए इससे मां लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती हैं।। *दीवाली पूजन मुहूर्त* ज्योतिषाचार्य के अनुसार रेवाड़ी शहर के स्टैंडर्ड समयानुसार अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:45 से 12:29, दोपहर,01:28 से 02:49 तक, प्रदोषकाल शाम 05:32 से 07:17, *सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृषलग्न* शाम_05:44 से 07:40तक। शुभ,अमृत,चर चौघड़िया, शाम 05:32 से 10:28 तक, निशिथकाल रात्रि 11:41 से 00:34 तक। सिंहलग्न रात्रि 00:15 से 02:32 तक श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। विशेष पूजन, गणेश, इंद्र, कुबेर सहित महालक्ष्मी पूजन संपन्न होगा।। 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या। *गोवर्धन पूजा/ अन्नकूट* कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 14 नवंबर को पूर्वाह्न गोवर्धन पूजा होगी। यह गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण व गोवर्धन पर्वत को समर्पित है, इसदिन गोबर के गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा गंध,अक्षत,पुष्प,धूप,दीप, नैवेद्य 56 भोग लगाकर की जाती है। पूजा के बाद गोवर्धन की सात परिक्रमा लगाने का विधान है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन करके ब्रज वासियों की रक्षा की थी। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन विभिन्न प्रकार अन्नों मिष्ठानों तथा पकवानों के पर्वत सिरके समान आकृति बनाकर समर्पित तथा वितरण करते है। *भैया दूज /यम द्वितीया* कार्तिक शुक्ल द्वितीया 14 व 15 नवंबर अपराह्न व्यापिनी तिथि होने कारण के दोनों भाईदूज या यम द्वितीया है, इसदिन चित्रगुप्त पूजन भी होता है। यमुना स्नान करना उत्तम है, इस दिन यमी ने अपने भाई यम को बुलाकर तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती है व भोजन कराती है। धन,यश,आयु,धर्म,काम और अर्थ की सिद्धि होती है। बहनों को वस्त्र दान करें। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।