त्रिवेणी किसे कहते हैं
Share"त्रिवेणी" आइये जानते हैं ☘️ #त्रिवेणी होती है ! जब तीन पेड़ (बड़,नीम,पीपल) त्रिक्रोण आकार में लगाते हैं....और थोड़ा बढ़ने पर (6 या 7 फुट) इनको आपस में मिला देते हैं....तब इनका संगम हो जाता हैं तो ही यह त्रिवेणी कहलाती है.... त्रिवेणी को खुले एवं सार्वजनिक स्थानों पर ही लगाया जाता है....जब त्रिवेणी लगाते हैं तो धरती माँ से उल्लास छलकता हुआ महसूस होता हैं.... त्रिवेणी को एक साधारण वृक्ष ना समझें इसका बहुत ज्यादा आध्यात्मिक महत्व भी है..... जैसे हमारे यहाँ जब भी कोई मांगलिक कार्य करते हैं तो यज्ञ का आयोजन करते हैं....ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके और समस्त वातावरण शुद्ध हो जाए.... वैसे ही त्रिवेणी को स्थायी यज्ञ की संज्ञा दी गयी है....जहाँ भी त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल हर क्षण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहता है... नज़ला, ज़ुकाम, छींकों से पीड़ित व्यक्ति यदि इसके नीचे बैठकर अनुलोम–विलोम, प्राणायाम आदि(श्वास क्रिया) करता है तो दमा तक भी ठीक हो सकता है.... त्रिवेणी के बारे में यहाँ तक कहा गया है कि यदि आप घोर से घोर संकट से भी जूझ रहे हैं....और उस वक़्त त्रिवेणी की शरण में चले जाते हैं तो समस्त संकट स्वत: ही कट जाते हैं.... अर्थात मानसिक शांति केवल त्रिवेणी के सानिध्य मात्र से मिलती है। हर वो इंसान जो श्रद्धा भाव से, आध्यात्मिक भाव से त्रिवेणी लगाता है या लगवाता है या इसका पालन पोषण करता है उसे महान पुण्यों का सञ्चय होता है..... ज्योतिष परामर्श एवं वास्तु विशेषज्ञ रविन्द्र पारीक
Good article
very nice article by sir ji