राहु , शुक्र ओर बुद्ध की राशियों में अच्छा फल देता है, ओर अगर केंद्र में हो तो कहने ही क्या। राहु और केतु स्वर भानु नामक राक्षश के मुख ओर धड़ है, जिसको भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से अलग किया था, स्वर भानु मृत्यु को प्राप्त नही हुआ उसका कारण था स्वर भानु के कंठ में अमृत जा चुका था, जो स्वर भानु देवताओ का वेश धरकर देवताओ की पंक्ति में जा बैठा था ये सब समुद्र मंथन के दौरान हुआ, स्वर भानु को चंद्र ओर सूर्य ने पहचान लिया जिस कारण राहु केतु ग्रहण लगाते है, राहु का फल शनि की राशियों में सामान्य से अच्छा होता है, राहु एक बहरूपिया जो जिस ग्रह के साथ या राशि में बैठ जाये तो वहाँ के गुण ले लेता है राहु केतु पूर्व जन्मों के कर्म अनुसार कुंडली में बैठते है
आपका राहु कहाँ बैठा है