🏵 *कढ़ी पत्ता* 🏵
पोहा, कढ़ी, नमकीन हलवा, रायता कई भारतीय व्यंजनों में कढ़ी पत्ते का प्रयोग किया जाता है। वर्षा ऋतु में करी (कड़ी) पत्ता के पेड़ लगाया जाता है, और इसकी पत्तियां हमेशा हरी -भरी रहती हैं। महाराष्ट्रीयन घरों में इसका पेड़ खूब मिलता है। दक्षिण भारत व पश्चिमी-तट के राज्यों और श्रीलंका के व्यंजनों के छौंक के रूप में रसेदार व्यंजनों में इसका प्रयोग तेजपत्तों की तरह किया जाता है।
कहीं - कहीं इसे काला नीम भी कहते हैं। कढ़ी पत्ते में मौजूद आयरन, जिंक और कॉपर जैसे मिनरल न सिर्फ अग्नाशय की बीटा-कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं, बल्कि उन्हें नष्ट होने से भी बचाते हैं। इससे ये कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन तेज कर देती हैं।
*कढ़ी पत्ते के लाभ*
*डायबिटीज* पीड़ितों के लिए रोज सुबह खाली पेट 8-10 कढ़ी पत्ते चबाना फायदेमंद है। इसके एंटी डायबिटिक शरीर में इंसुलिन की गतिविधि को प्रभावित करके ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं।
*डायरिया* को रोकता है कढ़ी पत्ते में कार्बाज़ोल एल्कालॉयड्स होते हैं, जिससे इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण पेट के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। यह पेट से पित्त भी दूर करता है, जो डायरिया होने का मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त कढ़ी पत्ता का प्रयोग लंबे और स्वस्थ
*बालों के लिए, पेट संबंधित बीमारियों में गठिया रोगों* में भी अत्यंत लाभदायक है। इसकी जड़ का इस्तेमाल
*आंखों और किडनी* के रोग के लिए होता है।
*कढ़ी पत्ते की इस्तेमाल विधि* भोजन में कढ़ी पत्ते की मात्रा बढ़ाएं या फिर रोज सुबह तीन माह तक खाली पेट 25 ग्राम कढ़ी पत्ता खाएं तो फायदा होगा। डायरिया से पीड़ित व्यक्तियों को कढ़ी पत्तों को कसकर दिन में तीन बार छाछ के साथ पीना चाहिए।
बालों की जड़ों को मज़बूत करने के लिए पीसकर इसका लेप बना लें फिर इसे सीधे बालों की जड़ों में लगाएं साथ में प्रतिदिन करी पत्ते को खाते रहे।
अगर नाक और सीने से कफ का जमाव रहता है या सूखे कफ से साइनसाइटिस है तो एक चम्मच कढ़ी पाउडर को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पेस्ट दिन में दो बार पिएं।
*कैंसर :-* इसमें पाये जाना वाला एंटी ऑक्सीडेंट बुढापे को दूर करते है तथा कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देते।
*कोलेस्ट्रोल* यह कोलेस्ट्रोल कम करता है | कढ़ी पत्ता लीवर को सुरक्षित करता है। ज्यादा एल्कोहल का सेवन करने वाले लीवर की समस्याओं से बच सकते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है जो हानिकारक तत्व जैसे मरकरी (मछली में पाया जाता है)।
कैसे करें सेवन : घर के बने हुए घी को गर्म करके उसमें एक कप कढ़ी पत्ते का जूस मिलाएं। इसके बाद थोड़ी सी चीनी और पिसी हुई काली मिर्च मिलाएं।
अब इस मिक्सचर को कम तापमान में गर्म करके उबाल लें और उसे हल्का ठंडा करके पिएँ।
खून की कमी होने पर कढ़ी पत्ते में मौजूद आयरन और फोलिक एसिड एनीमिया को दूर कर देता है। खून की कमी सिर्फ आयरन की ही कमी से नहीं अपितु आयरन को अब्जॉर्ब करने और उसे इस्तेमाल करने की शक्ति कम होने से भी होती है। एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति एक खजूर को दो कढ़ी पत्तों के साथ खाली पेट रोज सुबह खाएं।
जहरीले कीड़े काटने पर इसके फलों के रस को नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से राहत कढ़ी पत्ता काफी असरदार होता है।
इसके लिए मीठे नीम या कढ़ी के पत्तों को सुखाकर इनका बारीक पाउडर तैयार कर लें, और एक छोटा चम्मच गुनगुने पानी के साथ सुबह - शाम सेवन करें। कढ़ी, दाल, पुलाव आदि के साथ करी पत्ते का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है।
विटामिन बी1 बी3 बी9 और सी होता है। इसके अलावा आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस होने से इसके नियमित सेवन करने से बाल काले लंबे और घने होने लगेंगे। जले और कटे स्थान पर इसके पत्ते पीस कर लगाने से लाभ होता है।
नियमित कच्चा कढ़ी पत्ते चबाने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण होते हैं, जिससे आप दिल की बीमारियों से बचे रहते हैं। यह एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण होने से रोकते हैं। दरअसल ऑक्सीकृत कोलेस्ट्रॉल बैड कोलेस्ट्रॉल बनाते हैं जो हार्ट डिसीज़ को न्यौता देते हैं। इतना ही नहीं यह इन्फेक्शन , किडनी, घुटनो के लिए भी बेहद लाभकारी है।
आँखों की बीमारियों में इसमें मौजूद एंटी ओक्सीडेंट केटरेक्ट को शुरू होने से रोकते है, यह नेत्र ज्योति को बढाता है।
Good sir ji
very nice article by sir ji