रत्न पहनने पर भी लाभ क्यों नहीं?
Shareअपनी ग्रह बाधाओं को दूर करने और कार्यों में सफलता के लिए व्यक्ति रत्नों का धारण करता है पर आजकल जब व्यक्ति एक या दो रत्नों को धारण किए होते हैं फिर भी उन्हें दुखी देखा गया है वे अनेक कठिनाइयों से संघर्ष करते रहते हैं ऐसा क्यों? शायद आप सोचेंगे कि रत्न प्रभावशाली नहीं है या ज्योतिषी आदि ने गलत बताया है ऐसा नहीं है ऐसा तो इसलिए होता है कि या तो नकली रत्न धारण किए होते हैं या रत्न दोषपूर्ण होते हैं या विधिवत धारण किए हुए नहीं होते हैं यह ठीक है कि आप ज्योतिषियों के बताए अनुसार विधि पूर्वक शुभ दिन या मुहूर्त में रत्न धारण करते हैं परंतु किसी किसी की आदत होती है कि अपनी अंगुली से अंगूठी निकाल कर दूसरी उंगली में डाल लेना या काम करते वक्त उंगली से निकालकर मेज पर रख देना और फिर से उसे पहन लेना , इससे उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है इसी प्रकार किसी को दिखाने के लिए अपनी अंगुली से बार-बार अंगूठी निकालना भी अनुचित है रत्न धारण करते समय कुछ सावधानियां रखी जाए तो निश्चित रूप से लाभ होगा • धारण किए जाने वाले रत्न के स्वामी ग्रह और लग्नेश की मित्रता हो द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी अपनी महादशा या अंतर्दशा में मारकेश के रूप में कार्य करते हैं यह भारी शरीर का कष्ट उत्पन्न कर सकते हैं इसलिए जहां तक संभव हो उनके रत्न धारण न करें बल्कि ग्रहों की पूजा और दान आदि से शांति करें • शत्रु ग्रहों के रत्न एक साथ धारण ना करें रत्न धारण करते समय संबंधित ग्रह के मंत्र का जप 108 बार धारण करना चाहिए और शुभ दिन को धारण करना चाहिए • सूर्य रत्न माणिक के रविवार को धारण करना चाहिए साथ में ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए माणिक के सोने में पहनना चाहिए ! • मोती चांदी में पहने ओम सोम सोमाय नमः का मंत्र जाप करके! • मूंगा सोने या तांबे में ओम अंग अंगारकाय नमः मंत्र के साथ मंगलवार को धारण करना चाहिए ! • पन्ना स्वर्ण में ॐ बु: बुधाय नमः मंत्र के साथ बुधवार को पहनना चाहिए • पुखराज स्वर्ण में बृहस्पतिवार को ओम ब्रिम बृहस्पतए नमः मंत्र के साथ पहने • हीरा स्वर्ण या चांदी या प्लैटिनम मैं ओम शुम शुक्राय नमः मंत्र जाप कर शुक्रवार को धारण करना चाहिए • नीलम लोहा या पंचधातु में शनिवार को ओम शं शनिश्चराय नमः मंत्र का जाप करते हुए धारण करें • राहु और केतु के मंत्रों का जाप करते हुए गोमेद और लहसुनिया को अष्ट धातु में जड़वा कर धारण किया जाता है लेकिन मेरा मानना है कि राहु और केतु पापी ग्रह है इनके रत्न धारण ना किए जाएं तो बेहतर रहता है राहु और केतु को शांत करने के लिए खुश करने के लिए सिर्फ और सिर्फ उसके दान पुणय, पूजा पाठ मंत्र जप करना ही सही रास्ता होता है • रत्ना हमेशा चढ़ते पक्ष यानी शुक्ल पक्ष में धारण करने चाहिए केवल शुक्र और शनि के रत्न कृष्ण पक्ष में पहने जा सकते हैं • रत्न जड़ित अंगूठी को धारण करने से पहले उसे शुद्ध करने के लिए कम से कम 24 घंटे तक कच्चे दूध या गंगा जल में डुबोकर रखें अंगूठी धारण करने का शुभ समय सूर्योदय से 1 घंटे तक होता है परंतु बुधवार को छोड़कर बाकी दिनों में में दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में भी रत्न धारण करना शुभ माना गया है धूप दीप अगरबत्ती जलाकर उस ग्रह की उपासना करके पूर्व की ओर मुंह करके अंगूठी पहननी चाहिए नहा धोकर स्वच्छ और पवित्र हो के रत्न धारण करना चाहिए, बीमारी की स्थिति में रत्न नहीं धारण करना चाहिए! 🙏दीपिका माहेश्वरी🙏
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