ग्रहो के गोचर में मुख्य रूप से 4 ग्रहो शनि राहु केतु और गुरु का गोचर ही सबसे ज्यादा प्रभावी होता है क्योंकि यही चार ऐसे ग्रह है जो लंबे समय तक एक-एक राशि पर गोचर करते है।बात करते हौ गुरु के धनु राशि मे गोचर की, धनु राशि गुरु की खुद की राशि है गुरु खुद इस राशि का स्वामी है।ज्योतिष की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले जातक भी यह बात जानते है गुरु नैसर्गिक रूप से बहुत ही शुभ ग्रह है और गोचर आदि का प्रसब्बव जातक को ज्यादातर शुभ परिणाम ही देता है।अब कैसे किन लग्न के जातको पर यह कैसा प्रभाव डालेगा धनु राशि के गोचर में लग्न अनुसार बताता हूँ:- #मेष_लग्न:- मेष लग्न का स्वामी मंगल होता है जो कि गुरु का मित्रग्रह है साथ ही गुरु इस लग्न के लिए 9वे बबाव का स्वामी होने से भाग्य और विशेष शुभ रहता है,मेष लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए गुरु का गोचर 9वे भाव मे 13 महीने रहेगा 5नवम्बर से।मेष लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए गुरु का गोचर बहुत शुभ है, भाग्य उन्नति, धर्म कर्म में रुचि देगा और मेष लग्न के जिन जातकों की कुंडली मे दिक्क्त हसि गुरु का गोचर सब तरह की परेशानी को हरेगा।। नोट:- जन्मकुंडली मे गुरु की स्थिति शुभ होनी चाहिए।गुरी अस्त,नीच आदि न हो, ऐसे में उपाय जरूरी है लाभ लेने के लिए।। #वृष_लग्न:- वृष लग्न के जातको के लिए गुरु अकारक 8और 11वे भाव का स्वामी होकर कोई विशेष लाभकारी नही रहेगा।वृष लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए गुरु गोचर सामान्य रहेगा, हलाकि मकान सुख के लिए शुभ है यह गोचर।। #मिथुन_लग्न:-मिथुन लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए भी बहुत शुभ है यहाँ गुरु सप्तमेश-दशमेश होकर सप्तम भाव मे गुरु का गोचर होगा, जो कि विवाह संबंधी कार्य पूर्ण करवाएगा, जिन जातक/"जातिकाओ का विवाह न हो रहा है उनके लिए विवाह के रास्ते बनाएगा।। नोट:- जन्मकुंडली में गुरु की स्थिति अशुभ नही होनी चाहिए वरना लाभ ज्यादा न दे पाएगा, जन्मकुंडली में शुभ होगा तब ही विशेष लाभ देगा, अशुभ होने पर उपाय से ही लाभ मिल सकता है।। #कर्क_लग्न:- कर्क लग्न के लिए गुरु का गोचर छठे भाव मे है हलाकि गुरु का यह गोचर कर्क लग्न के जातको के लिए सामान्य रहेगा, गुरु का यह गोचर नोकरी में उन्नति, अगर कोई मुकदमा या शत्रु से दिक्कते है तो शत्रु और मुकदमे से निकलवाकर लाभ देगा।। नोट:- गुरु जन्मकुंडली में शुभ होना चाहिए।। #सिंह_लग्न:- सिंह लग्न के जातक/जातिका के लिए यह गोचर 5वे भाव मे धनु राशि मे होगा।गुरु 5वे भाव मे शुभ प्रभाव दिखायेगा, शिक्षकों या शिक्षा ग्रहण कर रहे जातको के लिए शिक्षा के छेत्र में लाभ, प्रेम-संबंधों में सुख व जिनके प्रेम संबंधों में दिक्कते, समस्याए है, तो प्रेम में सफलता लाभ देगा व आय भाव पर दृष्टि होने से आय की भी वृद्धि करेगा, हलाकि गुरु की दृष्टि भाग्य 9वे भाव और लग्न पर होगी जो भाग्य का साथ और जीवन मे खुशियां का आगमन गुरु के गोचर से रहेगा।। नोट:- गुरु जन्मकुंडकी में अशुभ स्थिति में नही होना चाहिए तब इस तरह के शुभ फल होंगे।। #कन्या_लग्न:- कन्या लग्न में गुरु चतुर्थेश सप्तमेश होकर चतुर्थ भाव मे गोचर करेगा, यहाँ गुरु का गोचर परम सुखदाई और कई तरह के लाभ देगा, नोकरी/व्यापार के लाइट बेहद शुभ, गुरु का गोचर नोकरी की जिन जातक/जातिकाओ की दिक्क्त है उसे दूर करेगा।। नोट:- जन्मकुंडली में गुरु शुभ होना चाहिए, अशुभ नही।। #तुला_लग्न:- इस लग्न के लिए गुरु तीसरे/छठे भाव का स्वामी होकर गुरु प्रबल अकारक होता है।यहाँ गुरु का गोचर तीसरे भाव मे होगा, हलाकि कोई खास लाभकारी नही है लेकिन फिर भी भाग्य का ज्यादा साथ और आय आदि में वृद्धि करेगा।। नोट:- जन्मकुंडली में गुरु अशुभ नही होना चाहिए।। #वृश्चिक_लग्न:- वृश्चिक लग्न में गुरु का गोचर दूसरे भाव मे होगा यह गोचर धन और पारिवारिक स्थिति और नोकरी में उन्नति के लिए अच्छा है, वृश्चिक लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए गोचर शुभ है।। नोट:- गुरु जन्मकुंडली में वृश्चिक लग्न वालों का शुभ होना चाहिए।। #धनु_लग्न:-धनु लग्न के जातको के लिए तो काफी अच्छा रहेगा यहाँ स्वयं गुरु लग्नेश है, जीवन मे गुरु का यह गोचर काफी अच्छा परिणाम देगा परिवर्तन करके।। नोट:-गुरु जन्मकुंडली में शुभ होना चाहिए अशुभ होने पर लाभ में कमी रहेगी। #मकर_लग्न:- मकर लग्न के लिए गुरी का गोचर 12वे भाव मे होने से सामान्य है न कोई शुभ, न अशुभ।। #कुम्भ_लग्न:- कुम्भ लग्न के जातक/जातिकाओ के लिए गुरु का गोचर आर्थिक स्थिति के लिए बहुत शुभ रहेगा, कुम्भ लग्न के लिये,लाभकारी है विशेष।। नोट:-गुरु अशुभ नही होना चाहिए जन्मकुंडली में।। #मीन_लग्न:- मीन लग्न के लिए गुरी लग्नेश-दशमेश होकर दसवे भाव मे गोचर करेगा गुरु का यह गोचर सबसे ज्यादा शुभ और मंगलकारी है।मीन लग्न के जो जातक/जातिका नोकरी आदि के लिए परेशान है या उन्नति के लिए अवसर देख रहे है उन्हें यह सब गुरु के गोचर से लाभ 13महीने तक मिलेगा। गुरु जन्मकुंडली में शुभ होना चाहिए तब ही शुभ फल विशेष रूप से होंगे।। गुरु का प्रभाव 5नवम्बर के बाद से अलग-अलग तरह से जातक/जातिका की जन्मकालीन स्थिति के अनुसार भी प्रभावित करेगा।इस कारण गुरु जन्मकुंडली में भी बलवान होना चाहिए लाभ देने के लिए।हलाकि जन्मकुंडली में गुरु अशुभ होगा उपाय से लाभ लिया जा सकता है। जिन जातक/जातिकाओ पर गुरु की महादशा या अंतरदशा है उनको यह गोचर प्रभाव अपने फलो से बहुत ज्यादा प्रभावित करेगा।
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