प्राचीनकाल से ही लोग अपना भविष्य या अपना निर्णय सही या गलत है जानने को उत्सुक रहते है कभी कभी आदमी दौराहे पर खड़ा होकर निर्णय नहीं ले पाता के कहा जाए या किस और जाए , कार्य करे या न करे , कभी हाथो की दो उंगलियों को छुवाकर हां या ना का फैसला करते थे कभी सिक्का उछाल कर , टैरो कार्ड उसी का ही एक हिस्सा हैं कुछ सालो से यह ज्यादा प्रचलन में आया है इसका कोई वैज्ञानिक आधार तो नहीं है जैसे पहले गांव देहात मेलो , आदि में तोते द्वारा एक कागज निकलवा कर जातक का भविष्य बताया जाता था जो आज भी कही कही प्रचलन में है ज्योतिष एक वैज्ञानिक आधार है जो ग्रह नक्षत्र और राशि पर मुख्यत आधारित है वैदिक ज्योतिष के अलग नियम है लाल किताब की अपनी एक अलग कहानी है कृष्णमूर्ति पद्धति के अपने अलग नियम है राशि पर आधारित है ,उसकी भविष्यवाणी काफी सटीक है आज हम जब जन्मपत्री देखते है तो हमें मालूम है के कौन सा ग्रह कहा बैठा है किस राशि में बैठा है किसकी दशा है दशा कब बदलेगी गोचर में क्या चल रहा है कब ग्रह अस्त होगा कब वक्री होगा आदि आदि हम आने वाले समय की भविष्यवाणी कर सकते है १ महीने बाद भी वही विवेचना जातक की कुंडली से होगी जो आज कर रहे है पर टैरो कार्ड में ऐसा नहीं है दो दिन बाद कार्ड दूसरा निकलेगा तो हमारी कैलकुलेशन पूरी की पूरी बदल भी सकती है घर में जैसे पति या पत्नी कोई बात मनवाने या खास बात बताने के लिए सामने वाले का मूड देख बात करती है वही काम टैरो का है के आकृति क्या कहती है टैरो द्वारा किसी भी जातक को सही मार्दर्शन दिया जा सकता है यदि टैरो रीडिंग करने वाला सही हो दूसरा सामने वाला मजाक के रूप में न पूछ रहा हो टैरो द्वारा किसी भी बात या चीज़ को लेकर भूत वर्तमान और भविष्य आसानी से बताया जा सकता है यहा तक की काम होने में कितना समय लग सकता है वो भी बताना मुश्किल नहीं है