राहु कब शुभ फल प्रदाता बनता है तथा शुभ स्थिति में राहु कौन से परिणाम दे सकता है। तो सबसे पहले हम ये जान लें कि राहु अथवा केतु दोनों हर स्थिति में स्वतंत्र फल देने में सक्षम नहीं हैं वरन् ये जिस राशि अथवा ग्रह के साथ युति संबंध में होते हैं तदनुसार फल प्रदान करते हैं। यानि यदि राहु अथवा केतु बुध के साथ बैठेंगे अथवा कन्या या मिथुन राशियों पर अकेले बैठेंगे तो इनमें इन राशियों व युति संबंध वाले ग्रहों के प्रभाव भी शामिल हो जाएंगे। अब आइए केवल शुभ प्रभाव वाले राहु की चर्चा करते हैं। राहु तीसरे, छठे व ग्यारहवें भाव में मौज़ूद हो तो शुभ फल प्रदाता हो जाता है। तीसरे भाव में स्थित राहु पराक्रम में आशातीत बढ़ोत्तरी कर देता है। ऐसा राहु छोटे भाई को भी बहुत मजबूती देता है। यदि इस भाव में बैठे राहु को मित्र या शुभ ग्रहों की दृष्टि प्राप्त हो अथवा वह स्वयं उच्च या उच्चाभिलाषी हो तो अतिशय मात्रा में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। छठे भाव में मजबूत स्थिति में बैठा राहु शत्रु व रोग नाशक बन जाता है। यदि छ्ठे स्थान पर शुक्र अथवा गुरु आदि शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या इस स्थान पर शुक्र व राहु की युति हो तो ऐसी दशा में विशिष्ट शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसी दशा वाले जातक के शत्रु या तो होते नहीं और यदि होते हैं तो हार कर समर्पण कर देते हैं। यही नहीं ऐसा जातक शारीरिक रूप से काफी हृष्ट-पुष्ट होता है तथा बीमारी आदि समस्याएं उससे कोसों दूर होती हैं। एकादश स्थान पर मजबूत होकर बैठा राहु भी शुभता का द्योतक है। इस स्थिति में संबंधित जातक को व्यापार-उद्योग, सट्टा-लॉटरी, शेयर बाज़ार आदि में एकाएक भारी मात्रा में लाभ प्राप्त होता है। ऐसा जातक शत्रु नाशक तो होता ही है साथ ही जीवनोव्यापार में भी सफल रहता है। आइए अब जानते हैं कि यदि राहु कुण्डली में अशुभ स्थिति में बैठा हो तो क्या उपाय किए जाएं ताकि भावी या चल रही समस्याओं का निराकरण हो सके: 1. ॐ रां राहवे नमः प्रतिदिन एक माला जपें। 2. नौ रत्ती का गोमेद पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वा लें। शनिवार को राहु के बीज मन्त्र द्वारा अंगूठी अभिमंत्रित करके दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। राहु बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: (108 बार) 3. दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 4. पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं। 5. सप्तधान्य का दान समय-समय पर करते रहें। 6. एक नारियल ग्यारह साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें। 7. शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। 8. अपने घर के नैऋत्य कोण में पीले रंग के फूल अवश्य लगाएं। 9. तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें। 10. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।। इस मंत्र को विशुद्ध उच्चारण के साथ तेज स्वर में पूरी राहु की दशा के दौरान कीजिए। Astrologer Amit Mob- 7004128194