Class date 16-2-2017
कल सुर्य बुध पर चर्चा हुई।
आज सूर्य गुरु
गुरु सूर्य पर चर्चा करेंगे।
● सुर्य आत्मा है।गुरु जीव है।इसलिये सुर्य+गुरु के योग को आत्मा जीव योग कहेंगे।
●ओर गुरु+सुर्य के योग को जीव आत्मा योग कहेंगे।
दोनों में अंतर है।उसे समझ ना है।
अब कैसा होगा दोनो योगो में फलित का अंतर?
आप सब प्रयास करे।गलत हो तो हो।परंतु प्रयास करे।🙏
गुरू +सूर्य = जीव के आगे आत्मा
जीब के आगे सम्मान।
जीब के आगे पिता
जीव के आगे संतान
सूर्य +गुरु = जीव के पिछे सम्मान /पिता अर्थात जातक सम्मानीत परिवार से
●चलिये, अब बताते है।
● सुर्य+गुरु
● सुर्य(पिता)+गुरु(जातक)
●जातक को पिता से अच्छे सम्बन्ध।
●सुर्य+गुरु=सम्मान+जातक
●जातक अच्छे परिवार से
●: सुर्य(पुत्र)+गुरु(जातक)=पुत्र के साथ अच्छे सम्बन्ध।
●सुर्य+गुरु=पुत्र+ज्ञान।जातक के पुत्र ज्ञानी होगा।
●सुर्य+गुरु=आत्मा+जीव।जातक को आत्मा का स्वरण या याद अर्थात जातक sriritual होगा।
◆ अब गुरु+सुर्य।
◆जातक+सुर्य(सम्मान/सरकार+प्रतिष्ठा)=जातक आगे चलकर सम्मान को प्राप्त होगा।सरकार से जातक को लाभ होगा
◆ गुरु+सुर्य।
◆जीब+आत्मा।जातक आगे चलकर आत्म ज्ञान को प्राप्त होगा।
◆ गुरु+सुर्य।जातक+पुत्र।जातक आगे चलकर पुत्र सुख प्राप्त करेगा।
◆गुरु+सुर्य।ज्ञान+पिता।जातक के पिता ज्ञानी होंगे।
इसी प्रकार कई कंबिनाशन्स बनते है।
जिसका प्रयोग, आगे चलकर कुंडली बिचार करते समय करना है।
आशा करता सबको समझ आरहा है।
महाराज विष्णु शास्त्री
नक्षत्र नाड़ी ग्रुप