ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती 19 मई 2023 🪐शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था। शनिश्चरी अमावस्या, सूर्यदेव और देवी छाया के पुत्र भगवान शनि के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस उत्सव को शनि जयंती भी कहा जाता है।वैदिक ज्योतिष में शनि देव को सेवा एवं कर्म के कारक और न्याय के देवता माने जाते हैं,उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है।इसीलिए शनि जयंती के दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्य पुत्र शनि देव हिन्दू ज्योतिष में नवग्रहों में से एक हैं। मंदगति से चलने की वजह से इन्हीं शनैश्चर भी कहा जाता है। शनि जयंती के साथ-साथ उत्तर भारत में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं।वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देना चाहिए। आप चाहें तो मंदिर जाकर भी शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्रों का जप करें। बेहतर होगा कि आप 5 माला जप करें। शनि देव का बीज मंत्र- ओम प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नमः।।
पितरों को करें प्रसन्न---
🪐दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 11 बार पाठ करना उत्तम रहेगा। इस अवसर पर पितरों को भी प्रसन्न करके आप जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए पीपल की पूजा करके पीपल के पत्तों पर 5 प्रकार की मिठाइयों को रखकर पितरों का ध्यान पूजन करें। पितरों को अर्पित किया गया प्रसाद घर नहीं लाएं, पूजन स्थल पर मौजूद लोगों में प्रसाद वितरण कर दें।
🪐इन वस्तुओं का करें दान----
लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये तमाम चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं हैं, इन वस्तुओं का दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं का दान करने से व शनि महाराज की पूजा और दीपदान करना बहुत ही शुभ फलदायी कहा गया है। इससे शनि महाराज अपनी महादशा, अन्तर्दशा और गोचर के दौरान अधिक नहीं सताते हैं और परेशानियों का सामना करने की क्षमता भी देते हैं।
🪐शाम के वक्त पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर न्याय के देवता शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें।काली गाय की सेवा करने से शनि का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है। ऐसा हर रोज़ करने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
भूलकर भी न करें इस दिन ये गलतियां---
शनिश्चरी अमावस्या के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा के सेवस से परहेज करना चाहिए और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन कभी भी गरीब व असहाय लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।
इस दिन भूलकर भी अपने घर पर लोहा और लोहे से बनी चीजें, नमक, काली उड़द दाल, काले रंग के जूते और तेल घर में नहीं लाना चाहिए। बताया जाता है इनको घर में लाने से दरिद्रता आती है। साथ ही इस दिन पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी चीजें भी नहीं खरीदना चाहिए।
अमावस्या की रात किसी भी तरह की सुनसान जगह जैसे श्मशान घाट या कब्रिस्तान जाने या उसके आस-पास घूमना से बचना चाहिए। अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं।