भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पञ्चमहापुरुष योग
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१-रूचक योग👉 जन्मकुण्डली में अगर मंगल अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्च राशि का होकर केन्द्र में स्थित हों , तो रूचक योग होता है।
निष्कर्ष - रूचक योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति स्वयं राजा या सेना या मिलिटरी में उच्चाधिकारी , आर्थिक दृष्टि से पूर्ण संपन्न अपने देश की सभ्यता और संस्कृति के प्रति पूर्ण जागरूक उसके विकास के लिए काम करता है।
२-भद्र योग👉 जन्मकुण्डली में अगर बुध अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्च राशि का होकर केन्द्र में स्थित हो तो भद्र योग होता है।
निष्कर्ष - भद्र योग में जन्म लेनेवाला मनुष्य सिंह के समान पराक्रमी , प्रभावोत्पादक , विलक्षण बुद्धि वाला होता है , यह जीवन में धीरे धीरे प्रगति करते हुए सर्वोच्च स्थान प्राप्त करता है।
३-हंस योग👉 जन्मकुण्डली में अगर बृहस्पति अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्च राशि का होकर केन्द्र में स्थित हो , तो हंस योग होता है।
निष्कर्ष - हंस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति सुंदर व्यक्तित्व वाला मधुरभाषी होता है। यह सफल वकील या जज बनकर निष्पक्ष न्याय करता है।
४-मालव्य योग👉 जन्मकुण्डली में अगर शुक्र अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्च राशि का होकर केन्द्र में स्थित हो , तो मालब्य योग होता है।
निष्कर्ष - मालब्य योग वाला व्यक्ति मजबूत दिमाग रखनेवाला , सफल कवि , चित्रकार , कलाकार या नृत्यकार होते हैं और देश विदेश में ख्याति प्राप्त करते हैं।
५- शश योग👉 जन्मकुण्डली में अगर शनि अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण या उच्च राशि का होकर केन्द्र में स्थित हो तो में शश योग बनता है।
निष्कर्ष - शश योग वाले व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर भी राजनीति विशारद होते हैं , वे गांव का मुखिया , नगरपालिकाध्यक्ष , या प्रसिद्ध नेता होते हैं।
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