जन्मकुंडली का एक ऐसा योग जो आपको राजनेता बना कर छोड़ेगा

Share

Astro Rakesh Periwal 10th Sep 2019

आपकी कुंडली में हैं ये योग, तो आपको बड़ा राजनेता बनाकर छोड़ेंगे )     व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसी समय से उस पर ग्रहों का प्रभाव पडऩा शुरू हो जाता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में जो अच्छे या बुरे परिणाम आते रहते हैं, यह सब ग्रहों का ही प्रभाव होता है। ज्योतिषशास्त्र एक ऐसी विद्या है जो लोगों के भूतकाल से लेकर भविष्य तक को उजागर करने में सक्षम है। कुंडली अध्ययन के समय मुख्य पांचों तत्वों (आकाश, जल, पृथ्वी,अग्रि व वायु)के साथ ही नक्षत्र और राशियों को ध्यान में रखा जाता है। इसमें भी गगन या आकाश तत्व को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। 

किसी की भी कुंडली में लग्न सबसे प्रभावी माना जाता है, क्योंकि यह 'स्व' अर्थात स्वयं को सूचित करता है और इस पर आकाश तत्व का आधिपत्य होता है। जानकारों के मुताबिक ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के योगों का बड़ा महत्व है। पराशर से लेकर जैमनी तक सभी ने ग्रह योग को ज्योतिष फलदेश का आधार माना है। योग के आंकलन के बिना सही फलादेश कर पाना संभव नहीं है। ऐसे समझे क्या होता है योग ...ग्रह योग की जब हम बात कर रहे हैं तो सबसे पहले यह जानना होगा कि ग्रह योग क्या है और यह बनता कैसे है। विज्ञान की भाषा में बात करें तो दो तत्वों के मेल से योग बनता है ठीक इसी प्रकार दो ग्रहों के मेल से योग का निर्माण होता है।

ग्रह योग बनने के लिए कम से कम किन्हीं दो ग्रहों के बीच संयोग, सहयोग अथवा सम्बन्ध बनना आवश्यक होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों के बीच योग बनने के लिए कुछ विशेष स्थितियों का होना आवश्यक होता है।जैसे: दो या दो से अधिक ग्रह मिलकर एक दूसरे से दृष्टि सम्बन्ध बनाते हों। भाव विशेष में कोई अन्य ग्रह आकर संयोग करते हों। कारक तत्व शुभ स्थिति में हों। कारक ग्रह का अकारक ग्रह से सम्बन्ध बन रहा हो। एक भाव दूसरे भाव से सम्बन्ध बना रहे हों। नीच ग्रहों से मेल हो अथवा शुभ ग्रहों से मेल हो। इन सभी स्थितियों के होने पर या कोई एक स्थिति होने पर योग का निर्माण होता है। ग्रहों का प्रभाव देता है अच्छे व बुरे परिणाम...व्यक्ति जब जन्म लेता है तो उसी समय से उस पर ग्रहों का प्रभाव पडऩा शुरू हो जाता है।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में जो अच्छे या बुरे परिणाम आते रहते हैं, यह सब ग्रहों का ही प्रभाव होता है। हर व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों के कुछ विशेष योग होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के माध्यम से इन योगों से व्यक्ति के जीवन में कब कैसा उतार चढ़ाव आएगा, इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जन्म कुण्डली में योग का अध्ययन करते समय योग बनाने वाले ग्रहों की स्थिति का आंकलन बहुत ही सूक्ष्मता पूर्वक किया जाना होता है। योग के दौरान जो ग्रह प्रबल होता है उसका फल ही प्रमुख रूप से प्राप्त होता है। यह भी पढ़ेइनप ऐसे होता है योग में शक्तिशाली ग्रह का आंकलन...ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक जब ग्रहों के मध्य योग बनता है तो उनमें कोई एक ग्रह अधिक शक्तिशाली होता है। शक्तिशाली ग्रह का आंकलन करने के लिए एक सूत्र है जिसके अनुसार योग से सम्बन्धित ग्रह उच्चराशि में स्थित हों तो उसे पांच अंक दिया जाते हैं, अपनी राशि में हों तो चार, मित्र राशि में हों तो 3, मूल त्रिकोण में हों तो 2 और उच्च अभिलाषी हों तो 1। इसी प्रकार अंकों का विभाजन अशुभ ग्रह स्थिति होने पर दिया जाता है जैसे नीच ग्रह को 5, पाप ग्रह को 4, पाप ग्रह के घर में बैठा हुए ग्रह हो तो 3, पाप ग्रह से दृष्ट होने पर 2 और नीचाभिलाषी होने पर 1

। यह भी पढें: शत्रु योग में शामिल ग्रहों में से जिस ग्रह को अधिक अंक मिलते हैं, उसकी महादशा में दूसरे ग्रह की अन्तर्दशा में योगफल निकालकर शक्तिशाली ग्रह का पता किया जाता है। इस आंकलन में अगर शुभ ग्रह को अधिक अंक मिलते हैं तो परिणाम शुभ प्राप्त होता है और अशुभ ग्रह को अधिक अंक मिलने पर अशुभ फल प्राप्त होता है। ऐसे योग बनाते है प्रसिद्ध राजनेताज्योतिष के जानकार व पंडित सुनील शर्मा के अनुसार जिन लोगों की कुंडली वृश्चिक लग्न की है और उसके लग्न भाव का स्वामी बारहवें में गुरु से दृ्ष्ट हो, शनि लाभ भाव में हो, राहु-चंद्र चतुर्थ भाव में हो, शुक्र स्वराशि के सप्तम में लग्न भाव के स्वामी से दृ्ष्ट हो और सूर्य ग्यारहवें भाव के स्वामी के साथ युति करता है तो व्यक्ति प्रसिद्ध राजनेता बनता है। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुंडली के कुछ और खास योग, जिनसे राजनिति में सफलता की बातें मालूम चल जाती हैं... 1

.कुंडली में शनि दशम भाव में हो या दशम भाव के स्वामी से संबध बनाए और दशम भाव में मंगल भी हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हित में काम करता है और राजनीति में सफल होता है। 2. राहु, शनि, सूर्य व मंगल की युति दशम या एकादश भाव हो या दृष्टि संबंध हो तो राजनेता बनने के गुण प्रदान करता है। 3 .सूर्य, चंद्र, बुध और गुरु धन भाव में हों, छठे भाव में मंगल हो, एकादश भाव में घर में शनि, बारहवें घर में राहु व छठे घर में केतु हो तो ऐसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है। 4. कर्क लग्न की कुंडली में दशम भाव का स्वामी मंगल दूसरे भाव में, शनि लग्न भाव में, छठे भाव में राहु पर लग्न भाव के स्वामी की दृष्टि हो, साथ ही सूर्य-बुध पंचम या ग्यारहवें भाव में हो तो व्यक्ति यश प्राप्त करता है और राजनीति में सफल होता है। यह भी पढें: रतन टाटा की ये बातें जो बदल देंगी आपकी जिंदगी  35 की उम्र के बाद इनके बिगडऩे लगते हैं सब काम...पंडित शर्मा के मुताबिक यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो सामान्यत: व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस योग से लाभ भी हो सकते हैं। कालसर्प योग दो चरणों में होता है उत्तरार्ध और पूर्वार्ध। वहीं कभी-कभी व्यक्ति जीवन में बहुत जल्द धन-संपत्ति और सुख-सुविधाएं प्राप्त कर लेता है, लेकिन इसके बाद अचानक 35 वर्ष की उम्र के बाद उसके सब काम बिगड़ जाते हैं। इसके चलते उसे धन और सुख की कमी हो जाती है, इसकी वजह भी कालसर्प योग हो सकती है। यदि कालसर्प योग का बुरा असर व्यक्ति के जीवन पर शुरू हो गया है तो उसके जीवन में कुछ खास बातें होने लगती हैं। जिनसे हम समझ सकते हैं कालसर्प योग के कारण परेशानियां बढ़ रही हैं और काम बिगड़ रहे हैं। ऐसे बनता है कुंडली में कालसर्प योग : जब कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी सातों ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि आ जाते हैं तो कालसर्प योग बनता है। ऐसा योग है तो आप बनेंगे करोड़पति.

..ज्योतिषशास्त्र में कुछ विशेष शुभ योग भी बताए जाते हैं, ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग हैं,ं तो व्यक्ति को जीवनभर धन की कमी नहीं रहती है। ऐसे ही शुभ योगों में से एक योग है रुचक योग। ज्योतिषचार्य बीडी श्रीवास्तव के अनुसार कुंडली में मंगल ग्रह अपनी राशि का होकर या मूल त्रिकोण या उच्च का होकर केंद्र में स्थित हो तो रुचक योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से बलवान होता है। अपने कार्यों से वह संसार में प्रसिद्ध होता है और स्वयं के अतिरिक्त देश का नाम भी ऊंचा करता है। वह स्वयं राजा होता है या उसका जीवन राजा की तरह होता है। सामान्यत: आज के समय में ऐसे योग वाले व्यक्ति करोड़पति हो सकते हैं। अपनी संस्कृति के प्रति वह आस्थावान होता है। देश की उन्नति के लिए प्रयास करता है। वह भावना से युक्त होता है व उसके साथ कई लोग रहते हैं। उसके मित्र सच्चे होते हैं व चरित्र उज्जवल होता है। यह भी यों चढ़ात वह कभी भी धन का अभाव महसूस नहीं करता। प्रलोभन इन्हें पिघला नहीं सकते। वह उच्च अधिकारी बनने की योग्यता रखता है और यदि वह राजनीति में हो तो मुख्यमंत्री बनने तक के योग बन सकते हैं। यहां ध्यान रखने योग्य बात यह है कि मंगल 10 से 25 डिग्री अंश के मध्य होना चाहिए किंतु यदि 10 से कम व पच्चीस से ज्यादा अंश होने पर रुचक योग पूर्ण फलदायी नहीं होता। यह योग भी तभी कार्य करता है जब मंगल पूर्ण बलिष्ठ हो।


Like (0)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।