गुरुवचनों का ज्ञान

Share

Ravinder Pareek 21st Oct 2020

*गुरुवचनों का संकलन*
🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶
1. भजन का उत्तम समय सुबह 3 से 6 होता है।
2. 24 घंटे में से 3 घंटों पर आप का हक नही, ये समय गुरु का है।
3. कमाए हुए धन का 10 वा अंश गुरु का है. इसे परमार्थ में लगा देना चाहिए।
4. गुरु आदेश को पालना ही गुरु भक्ति है। गुरु का पहला आदेश भजन का है जो नामदान के समय मिला था।
5. 24 घंटों के जो भी काम, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक करो सब गुरु को समर्पित करके करोगे तो कर्म लागू नही होंगे | अपने उपर ले लोगे तो पांडवों की तरह नरक जाने पड़ेगा, जो हो रहा है उसे गुरु की मोज समझो।
6. 24 घंटे मन में सुमिरन करने से मन और अन्तःकरण साफ़ रहता है. और गुरु की याद भी हमेशा रहेगी. यही तो सुमिरन है।
7. भजन करने वालो को, भजन न करने वाले पागल कहते है मीरा को भी तो लोगो ने प्रेम दीवानी कहा।
8. कही कुछ खाओ तो सोच समझ कर खाओ, क्योंकि जिसका अन्न खाओगे तो मन भी वैसा ही हो जायेगा।
मांसाहारी के यहाँ का खा लिए तो फिर मन भजन में नही लगेगा।
“जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन, जेसा पीवे पानी वैसी होवे वाणी.”
9. गुरु का आदेश, एक प्रार्थना रोज़ होनी चाहिए।
10. सामूहिक सत्संग ध्यान भजन से लाभ मिलता है. एक कक्षा में होंशियार विद्यार्थी के पास बेठ कर कमजोर विद्यार्थी भी कुछ सीख लेता है, और कक्षा में उतीर्ण हो जाता है।
11. गुरु का प्रसाद यानी “बरक्कत” रोज़ लेनी चाहिए।
12. भोजन दिन में 2 बार करते हो तो भजन भी दिन में २ बार करना चाहिए, जिस दिन भजन न पावो उस दिन भोजन भी करने का हक नही।
13. हर जीव में परमात्मा का अंश है इसलिए सब पर दया करो, सब के प्रति प्रेम भाव रखो, चाहे वो आपका दुश्मन ही क्यों न हो. इसे सोचोगे की मैं परमात्मा की हर रूह से प्रेम करता हूँ तो भजन भी बनने लगेगा।
14. परमार्थ का रास्ता प्रेम का है, दिमाग लगाने लगोगे तो दुनिया की बातो में फंस के रह जाओगे।
15. अगर 24 घंटो में भजन के लिए समय नही निकाल पाते हो तो इससे अच्छा है चुल्लू भर पानी में डूब मरो।
16. आज के समय में वही समझदार है जो घर गृहस्थी का काम करते हुए भजन करके यहाँ से निकल चले, वरना बाद में तो रोने के सिवाय कुछ नही मिलने वाला।
17. अपनी मौत को हमेशा याद रखो. मौत याद रहेगी तो मन कभी भजन में रुखा नही होगा. मौत समय बताके नही आएगी।
18. साथ तो भजन जायेगा और कुछ नही. इसलिए कर लेने में ही भलाई है, और जगत के काम झूंठे है।
19. नरकों की एक झलक अगर दिखा दी जाये तो मानसिक संतुलन खो बैठोगे. इसलिए तो महात्माओ ने बताया सब सही है. वो किसी का नुकसान नही चाहते  बात तो बस विश्वास की है।
20. भोजन तो बस जीने के लिए खाओ. खाने के लिए मत जीवो. भोजन शरीर रक्षा के लिए करो।
21. परमार्थ में शरीर को सुखाना पड़ता है मन और इन्द्रियों को वश में करना पड़ता है जो ये करे वही परमार्थ के लायक है।
22. अपने भाग्य को सराहो कि आपको गुरु और नामदान मिल गये, जब दुनिया रोती नजर आएगी तब इसकी कीमत समझोगे।
23. किसी की निंदा मत करो वरना उसके कर्मो के भार तले दब जाओगे. क्यों किसी के कर्मों के लीद का पहाड़ अपने सर पर ले रहे हो।
24. भजन ना बनने का कारण है गुरु के वचनों का याद न रहना, गुरु वचनों को माला की तरह फेरते रहो जैसे एक कंगला अपनी झोली को बार बार टटोलता है।
25. इस कल युग में तीन बातो से जीव का कल्याण हो सकता है. एक सतगुरु की कृपा, दूसरा साधु की संगत और तीसरा “नाम” का सुमिरन, ध्यान और भजन,बाकी सब राग है।
🔶🔹🔹🔶🔹🔹🔶🔹🔹🔶🔹🔹🔶🔹🔹🔶


Like (5)

Comments

Post

Great article


Suman Sharma

*गुरुवचनों का संकलन🙏🙏


very nice article by Astro Ravinder pareek ji


very good knowledge


गुरुवचनों का संकलन


very nice article


very nice article by Astro Ravi ji


very good knowledge


Suman Sharma

very nice article by sir ji


Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

Top