*देवउठनी एकादशी आज से विवाह मुहूर्त होंगे शुरू* कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी गुरुवार 23 नवंबर से सावा शुरू हो जाएंगे, देव उठनी एकादशी को लोकाचार में अबूझ सावा कहा गया है, इसमें बिना मुहूर्त देखे विवाह कर सकते है। शास्त्रों के अनुसार केवल साढ़े तीन मुहूर्त ही मान्य है.. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजया दशमी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा। लेकिन लोकाचार में चार मुहूर्त मान्य है...आषाढ़ शुक्ल भड़लिया नवमी, देव उठनी एकादशी, माघ शुक्ल वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल फुलेरा दोज, आदि लोकाचार्य में मुहूर्त में मान्य है। शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित "महाविद्याक्षरा ज्योतिष संस्थान" के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु शयनावस्था उठते ही शुरू हो जाते हैं विवाह मुहूर्त। इसलिए देव उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। *देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है,तुलसी का गमला चौकी में रखकर तथा विष्णु स्वरूप शालिग्राम की पंचोपचार षोडशोपचार विधिवत पूजन करें और श्रृंगार का समान तुलसी को अर्पण करें।तुलसी भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है।* इसदिन से विवाह संस्कार,यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। *विवाह मुहूर्त* 23,27,28,29 नवंबर नवंबर। *दिसंबर* 4,6,7,8,9,15 दिसंबर को अंतिम सावा होगा। फिर 16 दिसंबर को धनुराशी में सूर्य प्रवेश करते ही शुरू होगा खरमास, इसमें शुभकार्य वर्जित फिर मकर संक्रांति के बाद शुरु होंगे विवाह मुहूर्त।