भाई दूज
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🌹भैया दूज🌹
भाई-बहन के परस्पर प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक भाई दूज का पर्व दीपावली के महोत्सव का एक महत्पूर्ण हिस्सा है। यह कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन अर्थात दीपावली के दो दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक एवं आरती करके, उनके लम्बे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। जिसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार प्रदान करते हैं।भाई दूज - 26 अक्टूबर 2022, बुधवार
तिलक का शुभ समय - 01:12 PM से 03:27 PM तक
कुल अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट।भाई दूज का यह पावन पर्व दक्षिण भारत में यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह त्यौहार भाई दूज के रूप में घर-घर में प्रसिद्ध है।भाई-बहन के स्नेह को दर्शाने वाला यह त्यौहार संपूर्ण भारतवर्ष में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे - भाऊ बीज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया। लेकिन इस पर्व का सार और महत्व सभी स्थानों पर एक ही जैसा है।
पूजा की थाली,फल, फूल
दीपक,अक्षत,मिठाई,देसी घी,जल,इसके अतिरिक्त आप अपने भाई को उपहार स्वरूप देने के लिए श्री-फल, मिठाई और वस्त्र आदि भी रख सकती हैं।
भाई दूज के दिन प्रातःकाल तेल-उबटन आदि करने के बाद स्नान करें। स्नान से निपटकर स्वच्छ नए कपड़े पहनें।
घर के पूजास्थल में पंचोपचार की क्रिया द्वारा सभी देवों की पूजा करें। भाई बहन एक दूसरे के मंगल की ईश्वर से प्रार्थना करें।भाईदूज का तिलक सामान्यतः मध्याह्न-काल में किया जाता है। इस समय में भाई अपनी बहनों के घर पहुंचे।बहनें एक थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दीया आदि रखकर पूजा की थाली तैयार करें।
इसके बाद बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठायें। और भाई एक रुमाल से अपने सिर को ढंक लें।
चौकी पर बैठे भाई को हल्दी, कुमकुम अक्षत से तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें। और अब उनकी आरती उतारें।
अब बहनें भाई को मिठाई खिलाएं। और भाई बहन के द्वारा बनाए गए पकवान का आनंद लें।यदि भाई और बहन एक ही घर में रहते हैं, तो दोनों साथ में मध्याह्न भोजन करें। इसके बाद बहन अपने भाई को तिलक कर सकती हैं।
अब भाई वस्त्र और अन्य उपहार देकर बहन का आभार व्यक्त करें।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी विवाहित बहनों को वस्त्र-दक्षिणा आदि देते हैं, उन्हें आने वाले वर्ष में सफलता प्राप्त होती है और बहन के आशीर्वाद से उनके धन, यश, आयु, और बल की वृद्धि होती है।