मन की प्रधानता
Share• सूत्र :२-४०:- R हैं; इन सब में मन प्रधान है। • देश में होते हैं—(१) एक राजा; (२) सरकार चलाने के लिए एक अमात्य; (३) प्रत्येक विभाग का एक-एक अध्यक्ष। • शरीर में आत्मा राजा है; मन अमात्य है; दस इन्द्रियाँ विभागाध्यक्ष हैं। • आत्मा के साधनों में मन प्रधान है। • सूत्र-४१:- अव्यभिचारात्।। अर्थ:- व्यभिचार न होने से; = दो अर्थ (या दो गति) न होने से; = एक नियम होने से। • एक काल में मन का सम्बन्ध एक ही इन्द्रिय से होता है और प्रत्येक इन्द्रिय अपने विषय के तथ्य मन को सौंप देती है। इस नियम का कभी उल्लंघन नहीं होता। • इस कारण सब इन्द्रियों के ऊपर मन की प्रधानता है।