ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि शनि एवं चन्द्र एक साथ बैठे हों तो 'विषयोग' निर्मित होता है। विषयोग मनुष्य को उसके पूर्व के जन्मों में स्त्री/पुरुष के प्रति किये गए क्रूर-कठोर आचरण की ओर संकेत करता है। इस योग का प्रभाव जातक के जीवन में शत-प्रतिशत घटित होता है, इसीलिए इसे ज्योतिषशास्त्र के सर्वाधिक प्रभावशाली योगों में गिना जाता है।
जो जन्मकाल से आरंभ होकर मृत्यु पर्यंत अपने अशुभ प्रभाव देता रहता है। इस योग के समय जन्म लेने वाला जातक यदि श्वान को भी रोटी खिलाए तो देर-सवेर वह भी उसे काट खायेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि इस विष योग वाली कुंडली का जातक अपने ही मित्रों सम्बन्धियों के द्वारा ठगा जाता है।