जन्म-कुण्डली में अनेक राजयोग हो सकते हैं। लेकिन विपरीत-राजयोग की अपनी विशेषता है I विपरीत राजयोग की बात करते हुये प्राचीन धर्मग्रंथों मेँ जन्मकुण्डली में 6ठे, 8वें और 12वें घर को दुष्टस्थान की तरह चित्रित किया गया है कि इस तरह के संयोजन में न केवल इन घरों के स्वामी प्रतिकूल परिणाम देते हैं बल्कि उनमें विराजे ग्रह भी शत्रुवत हो जाते हैं। विपरीत राजयोग स्वयं 6ठे, 8वें, और 12वें घरों और उनके स्वामियों का एक संयोजन है।
विशेष परिस्थितियों में इन दुष्टस्थानों से सम्बंधित ग्रह अपने भारी अनुकूल परिणाम दे सकते हैं, जो अनपेक्षित, अचानक और अपेक्षा से परे होते हैं। व्यक्ति आरंभिक संघर्ष और अपेक्षित असफलताओं के बावजूद चकरा देने वाली बुलंदियों तक पहुंच जाता है। विपरीत राजयोग तीन प्रकार के होते हैं —
1. कठिन विपरीत राजयोग ( Harsh Viprit Rajyoga) जन्म-कुण्डली में छठें स्वामी 8वें, और 12वें. घरो में बैठने के कारण यह योग बनता है। इस योग के मौजूद होने के कारण व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय हासिल करता है।
2.विपरीत सरल राजयोग ( Viprit Saral RajYoga) जन्म-कुण्डली में आठवें स्वामी के 6ठे, ya 12वें घर में विराजने से यह योग बनता है। इस योग के बनने के कारण व्यक्ति में विपत्ति से दृढ़ता के साथ लड़ने की क्षमता आती है और वह संघर्षों से भयभीत नहीं होता है।
3.विपरीत विमल राजयोग ( Viprit Vimal Rajyoga) जन्म-कुण्डली में बारहवें स्वामी के 6ठे, 8वें घर मे विराजने से यह योग बनता है। इस योग के परिणाम स्वरूप व्यक्ति स्वतंत्र प्रकृति का होता है। वह हमेशा खुश रहने की कोशिश करता है तथा धन संग्रह करने मे प्रवीण होता है।
विपरीत राजयोग वाले कुछ प्रमुख व्यक्तित्व हैं—- सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन, नर्गिस दत्त, राज कपूर, ऐश्वर्याराय, रजनी कांत, लता मंगेशकर, शर्लाक होम्स के लेखक सर आर्थर कॉनन डायल, रवींद्र नाथ टैगोर, राम कृष्ण डालमिया, और जुगल किशोर बिड़ला। अपनी उत्कृष्टता के क्षेत्र में ये सभी सम्माननीय ख्यातिप्राप्त व्यक्ति हैं जिन्हे परिचय की कोई आवश्यकता नहीं है।