नमस्ते
हमें नमस्ते का जवाब क्या नमस्ते से देना चाहिए , शायद नहीं , मेरा स्वयं का मानना है के पुराने ज़माने में दंड वत प्रणाम किया जाता था ,या छोटे बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद या हाथ जोड़कर प्रणाम किया करते थे और बड़े आयुष्मान भव , जीते रहो आदि का आशीर्वाद दिया करते थे , प्रणाम का अर्थ कही न कही यह भी है आपके चरणों में मेरा शीश अर्पिर्त ,या यु कह सकते हैचरण स्पर्श कर रहा हु कृपयाआशीर्वाद दे
नमस्ते का अर्थ भी प्रणाम से जुड़ा हुआ है इसका भी कही न कही अर्थ है चरण स्पर्श या आपके सामने सर झुका के खड़ा हु आशीर्वाद दे
ऐसे में सामने वाला भी नमस्ते का जवाब नमस्ते से देता है जो तर्कसंगत नहीं है
मुसलमानो में जब कोई किसी से मिलता है तो सलाम वालेकुम बोलता है जिसका अर्थ है मेरा सलाम क़बूल करे सामने वाला उसको जवाब में कहता है वालेकुम सलाम, अर्थात आपका सलाम क़बूल किया
में सही हु या गलत में नहीं जानता , यदि में गलत हु तो कृपया मार्ग दर्शन दे
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