आज हम गुरु शनि सूर्य के बारे में चर्चा करेंगे यह बहुत ही उत्तम राजयोग होता है तीनों देवता एक साथ बैठ गए अर्थात ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों बैठे हैं यह तीन ग्रहों की युति जिस की कुंडली में एक साथ होती है ऐसे व्यक्ति अध्यात्मिक शक्ति संपन्न होते हैं पूर्व जन्म में अच्छे कर्मों के कारण इन्हें वरदान की प्राप्ति होती है जिसके कारण इस जन्म में मान सम्मान अर्जित करते हुए समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं देखिए आप लोगों को पता होगा गुरु काल पुरुष की कुंडली में धर्म भाव का स्वामी होता है सनी 10 और 11 भाव का स्वामी है अर्थात कर्म और आय का स्वामी है सूर्य पंचम भाव का स्वामी है देखिए भाव की दृष्टि से 9 10 11 12 और 5 भाव का संयोग बन रहा है केन्द्र और त्रिकोण भाव के स्वामी आपस में संबंध बना रहे हैं गुरु का कर्म योग से संबंध बन रहा है इसको नाड़ी ज्योतिष में गुरु कर्म योग भी कहते हैं ऐसे लोग गवर्नमेंट में अच्छी पोस्ट पर होते हैं या आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत ऊंचे पायदान में होते हैं ऐसे लोगों की आत्मिक शक्ति जागृत होती है ऐसे लोग जीवन में मान सम्मान को अर्जित करने वाले होते हैं ऐसे लोग परोपकारी होते हैं सूर्य सरकार का स्वामी होता है रॉयल राजशाही को बताता है शनि कर्म को बताता है जब सूर्य का संबंध सनी से हो जाएगा अर्थात कर्म से हो जाएगा तो कर्म राज्य सी होंगे और यहीं पर जब गुरु का प्रभाव आएगा सूर्य और शनि दोनों को लाभ मिलेगा यहां पर भौतिक रूप से बहुत अच्छे फल मिलेंगे थोड़ा सा दैहिक दैविक रूप से शारीरिक मानसिक रूप से थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा जब यहां पर गोचर करते हुए केतु आएगा सूर्य राजा है सनी कर्म है गुरु ज्ञान देने वाला है परामर्श देने वाला है ऐसे जातक का स्टेटस बहुत हाई रहता है सरकार के उच्च पदों पर कार्य करने वाले होते हैं। देखिए यदि इन ग्रहों का संबंध 6 8 12 भाव से होगा तो फलों में कमी आ सकती है भाव राशि का विचार करते हुए फलित किया जा सकता है।