*29 सितंबर मंगलवार स्वाति नक्षत्र में गणपति बप्पा होंगे विराजमान* शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्यान्ह काल में हुआ था।यह गणेश उत्सव 10 दिनों तक चलता है। जिसमें बड़े-बड़े पंडालों में गणपति बप्पा को विराजमान कर उनकी पूजा उपासना की जाती है। शास्त्री जी ने बताया कि हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथी को संकष्टी और शुक्लपक्ष के चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। *गणेश भगवान का पूजन कैसे करें* भगवान गणेश की मूर्ति को विराजमान कर, मध्यान्हकाल,अभिजित मुहूर्त11:52 से 12: 41व वृश्चिकलग्न 10:41 से 12:59 गणपति पूजा करें पंचोपचार व षोडशोपचार गंध,अक्षत,पुष्प, दूर्वा,फल और मोदक के लड्डू का भोग लगाएं भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अति प्रिय है। गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश सहस्त्रनाम, गणेश चालीसा, संकट नाशक स्तोत्र, ॐ गं गणपतये नमः आदि मंत्रों का जप करें। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान गणेश को सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को विद्या बुद्धि प्रदाता, विघ्न विनाशक ,मंगलकारी, सिद्धि दायक ,रक्षा कारक, समृद्धि ,शक्ति और सम्मान दिलाने वाले देव माने जाते हैं। हालाकि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचें। ऐसी मान्यता है कि चंद्र दर्शन करने से मानहानि कि आशंका बढ़ जाती है। 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी, के साथ गणेश विसर्जन। 29 सितंबर से शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष।