*वट सावित्री व्रत व शनि जयंती आज* ज्येष्ठ मास की अमावस्या को उत्तर भारत में और पूर्णिमा को दक्षिण भारत में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस व्रत की कथा सावित्री और सत्यवान के अखण्ड सौभाग्य के रूप में जाना जाता है। यम के द्वारा अखण्ड सौभाग्य दान मिलता है। यह व्रत पति की लम्बी आयु के लिए किया जाता है। शहर के "धारूहेड़ा चुंगी" स्थित "ज्योतिष संस्थान" के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार अर्पित कर अपने पति के लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, वट वृक्ष छांव में माताएं सावित्री सत्यवान की पावन कथा सुनती है,पति के रक्षण व सौभाग्य प्राप्ति के लिए। महिलाएं वट वृक्ष में 11,21 51 या 108 बार कच्चा सूत लपेट कर अपने पति की लंबी आयु व स्वास्थ्य रहने की कामना करती हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से मृत्यु के देवता यम प्रसन्न होते है और प्राण आयु प्रदान करते हैं। ज्योतिषाचार्य_शास्त्री ने बताया कि रौली मौली हल्दी वट वृक्ष का फल, पुष्प, धूप ,दीप नैवेद्य आदि लेकर पूजा करके कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा करें तथा अपनी पति की लंबी आयु की कामना करें।
शनि जयंती को करें यह उपाय
1.शनि जयंती को गोले में आटा की पंजीरी तेल में भूनकर खांड मिलाकर भर लें व शनि देव को प्रसाद रूप में चढ़ाएं
2.पीले कनेर की फूलों की माला शनिदेव को चढ़ाए
3.तेल का अभिषेककरें
4.काले चने उबालकर प्रसाद चढ़ाएं
5.तिल गट्टे (रेवड़ी) का प्रसाद शनिदेव को चढ़ाए
6.बारहमासी या सदा {सुहागन} की फूलों की माला चढ़ाएं
7. शमी पत्ती चढ़ाएं
8.नीले मंदार आंकड़े की माला चढ़ाएं केले का भोग लगाएं
9.तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा 108 बार पाठ करें
10.काला कपड़ा सवा मीटर उड़द काले तिल काला छाता काली चप्पल चाकू नारियल इमरती चढ़ाए
उपरोक्त उपाय कोई भी कर सकते हैं अपनी श्रद्धा अनुसार एवं परामर्श कुंडली के अनुसार करें
समय
सुबह 5:28 से 7: 11 तक
दूसरा 10:39 से 12 :22 तक
तीसरा 12 :22 से 1:30 तक
दोपहर में 3:00 बजे से 3:50 तक
सायं 5:33 से 7:17 तक
रात्रि बेला 8:33 से 9:50 तक
मंत्र=
1ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रम् यमाग्रजम् छाया मार्तंड संभूतम् तम् नमामि शनैश्चरम्।
2ओम् प्रां प्रीं प्रूं शं शनये नमः
3ओम् शं शनिश्चराय नमः
उपरोक्त मंत्र जप करें शनि की साढ़ेसाती ढैया एवं महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा मारक दशा आदि शनि के क्रूरतम प्रभाव को खत्म कर शनिदेव की पूर्ण कृपा हेतु शनि यज्ञ करना लाभकारी होगा एवं शनिदेव के भंडारे में सहयोग करना श्रेष्ठतम होगा