वर्षभ राशि (TAURUS)

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Dr Rishi Natani 22nd Mar 2019

[22/03, 6:27 PM] Rishi: कोमल मन से सुशोभित कठोरता का आवरण लिए अब हम राशि चक्र के पांचवे चरण में प्रवेश करते है नारियल राशि:-  वर्षभ राशि :-अपने नाम को पूर्ण रूप से यह मूर्त साकार करती है अग्नि तत्व से जन्मी अनुशासन में पली बढ़ी सत्वगुण का आवरण लिए हुए पाण्डु (हल्का पीला)रंग ह जिसका शीर्षोदय रूप ताकतवर शरीर पिले नेत्र मोटी ठोड़ी बड़ा चेहरा क्रोधी स्वभाव पूर्व दिशा में उदय वनचारी क्षत्रिय वर्ण फिर सूर्य जिसका स्वामी हो ऊर्जावान पराक्रमीअपनी माता के प्यारे पहाड़ो में भ्रमण के शौकीन होते है ऐसी बाते देखने को मिलती है जिसके सिंह लग्न में हो सूर्य लग्न में हो बलि हो सूर्य पापमुक्त हो यदि सिंह राशि का सूर्य लग्न में हो हो उसे रात्रि में नही दिखता कर्क लग्नमें सूर्य होतो नेत्र रोग जल्दी होता है सिंह राशि चतुष्पद है अग्नितत्व होने से विचारो और कार्यशैली में स्पष्टता रहती है इस राशि के लोग अत्यधिक ज्यादा महत्वकांक्षी होते है अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते है अग्नि ही इन्हें ऊर्जा प्रदान करती है अतः ऊर्जावान होते है यह स्थिर राशि है इसलिये स्वभाव स्थिरता लिए होता है मन मे दृढ भावना रहती है कि जो कार्य कर रहे है उसमें सफलता अवश्य ही मिलेगी वादा -खिलाफी इनको कतई पसंद नही आती ऐसे लोग अक्सर जो बात कहते है उस पर स्थिर रहते है और अन्य व्यक्तियो से भी यही अपेक्षा करते है !यही अपेक्षित व्यवहार न मिले तो राशि की अग्नि इनकी जीह्वा पर भी आ जाती है यह कटु से कटु वचन बोलने से भी नही चूकते भले ही कीमत बाद में इन्हें अपने प्राणों से क्यों ना चुका पड़े इसके ग्रह में राजा सूर्य स्वामी है साथ ही इसका चिन्ह वनराज सिंह है राजा के समान साहसी अपना प्रभुत्व जमाने वाले दृढ निश्चयी और स्वतन्त्रप्रवति के होते है किंतु परन्तु जैसे शब्दों को अपने आत्मविस्वास के कारण नापसन्द करते है जैसे सूर्य सभी ग्रहों को रोशनी देते है उसी तरह ये लोग दयालु होते है और जहाँ तक हो सके लोगो की सहायता करने में पीछे नही हटते ! सिंह राशि के लोग धार्मिक एवं दार्शनिक विचारो के होते है !ऐसे लोग अपनी परम्पराओ से बहुत अधिक जुड़े होते है रूढ़िवादी राजसी गुण एसो-आराम से युक्त जीना सिंहासन पे बैठके अर्थात घर मे बैठ कर नीतियां बनाना लोगो से उनका पालन भी ये करवाना शारीरिक श्रम लेना यह बखूबी जानते है !मानसिक प्रशासनिक कार्य करना प्रिय विषय होते है गुस्सा होते है तो तो राजसी सुख में कमी हो तो हिंसक रूप तक धर लेते है ये लोग जिनसे जुड़ते है उन पर एकाधिकार समझते है जो ईर्ष्या की हद तक होता है उस स्थिति में ये लोग उसे पाने के लिए साम दाम दंड भेद सभी अपना लेते है सिंह राशि शरीर में उदर पेट और कुक्षि का प्रतिनिधित्व करती है!सिंह राशि मे मघा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र आने से सिंह राशि के व्यक्तियों के जीवन मे केतु शुक्र और महान सप्तरथी सूर्य की महादशाएं अवश्य आती ऐसे है [22/03, 6:27 PM] Rishi: अब हम वर्षभ राशि की चर्चा करेंगे:-- राशिचक्र में दूसरी राशि वर्षभ आती है यह पृथ्वी तत्व राशि है जिससे धैर्य सहनशीलता उत्पादकता के गुण व्यक्ति में रहते ही है विपरीत परिस्थितियों में अपना आप्पा नही खोते सोच विचार कर कदम उठाते है ऐसे व्यक्ति उत्कृष्ट कार्य क्षमता वाले होते है ये शांत रहते है लेकिन कब तक जैसे अधिक भर पृथ्वी नही सहती वैसे ही ये क्रोधित होते जब है तो सहन नही करते रोक पाना कठिन होता है यह स्थिर राशि है अतः हवाई किले बनाना इन्हें नही आता इस राशि के स्वामी शुक्र है जिन्हें Venus कहा जाता है venus सौन्दर्य की देवी का नाम है वर्षभ राशि के लोग सौन्दर्य से गहरा संबंध रखते है ऐसे लोग निराश लोगो को भी आशावादी बनाते है क्योंकि संजीवनी विद्या का ज्ञान शुक्र को ही था और ऐश्वर्य की जिंदगी जीना आधुनिक भौतिक संसाध्नों का उपयोग करना इन्हें ज्यादा आता है मस्तिष्क की उर्वरता सोंदय से मिलकर अद्वितीय परिणाम लाने वाली होती है परंतु अपने कार्य की प्रशंसा हर कदम पर चाहते है यह स्री राशि है अतः कोमल स्वभाव भावुक कल्पनाशील सहदय शुक्र बहरस्पति से भी ज्यादा ज्ञानी थे जिससे लेखक कवि नृत्य संगीत प्रेमी व्यक्ति को बनाते है परंतु यह सभी वर्षभ लोगो पर लागू नही होगा ऐसे प्रभाव लग्न में शुक्र हो 5th हाउस में शुक्र हो 2,7 राशि हो तब यह लागू होगा वर्षभ का चिन्ह बैल है जिससे कोल्हू के बैल के समान क्रियाशीलता इनमे सदैव रहती है लगातार काम करना कभी न थकना इनका सिद्धान्त पे काम करते है इनसे जबरदस्ती कोई काम करवाना आसान नही होता बस प्रेम से बांध सकते है इन्हें वर्षभ राशि शरीर मे मुख का प्रतिनिधित्व करती है ऐसे व्यक्तियों को अपनी असीम शक्तियों को पहचानने का प्रयास करना चाहिए....!!


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आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।