" अंतरात्मा " का योग जब बनें " आत्मा " से तो """ आनन्द """ की अनुभूति होती है और समझ में आ जाता है """" परमात्मा """" शब्द का रहस्य । अंतरात्मा क्या है इस पर मतांतर होगा । आत्मा ऊर्जा स्वरूप प्रकट होने वाली है शाश्वत सनातनी काल चक्र से परे की । परमात्मा क्या है इस पर भी मतांतर होगा । विवाद में जाते ही नहीं । प्रभाव पर कुछ पहलूओं को समझने का प्रयास करें । आत्मा को ब्रह्माण्डिय ऊर्जा मान लेते हैं व उस ऊर्जा के सूक्ष्म रूप को अंतारात्मा मान लें । जब दोनों का साक्षात्कार होता है तो परिणाम कुछ ऐसा होता है ओऊम् अंतरात्मा की आवाज को आदेश मान कर अनुशरण करती हैं आत्मा । वहीं आत्मा के आचरण ( शब्द / संवाद नहीं ) को देखकर अनुचर बन जाती है अंतारात्मा । अंतरात्मा का आवाह्न करने पर आत्मा को चलें आना होता है । लेकिन आत्मा के पास अंतरात्मा जाना चाहें पूरी सृष्टि मददगार साबित होती है ओऊम्। अंतरात्मा के पास आत्मा के लाइलाज रोग हरणे का गुण होता है । वहीं आत्मा के पास अंतरात्मा के लिए स्थिर आनन्द का आधार होता है ( आपको अपनी आत्मा व अंतरात्मा से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ , हुआ तो कितने स्वरूपों से हुई मुलाकात । ----- यही योग परमात्मा को जानने का एक मात्र प्राकृतिक मार्ग है । ) इसका तत्व ज्योतिष में सूत्र हैं । जिसके अनुसार जब तक आपको जानकारी नहीं है तब तक जीवन में रहस्यमयी समस्याओं में उलझें रहना पड़ता है । ऐसा नहीं है कि इसके लिए किसी ख़ास ग्रह योग की आवश्यकता नहीं होती है । यह योग सौभाग्य व दुर्भाग्य ता पर क्रिया करता है । यदि आप सौभाग्यशाली है तो उक्त कही घटनाओं में से एक/दो अवश्य घटित हुई होंगी । यदि आप दुर्भाग्यपूर्ण है तो आपने महसूस नहीं किया होगा सिद्धांत कहता है घटना तो अवश्य घटित हुई है ओऊम् । ओऊम् ओऊम् ओऊम् ओऊम् ओऊम् प्रकृति अपने गूढ़ रहस्यों को उजागर उसी को करतीं हैं जो मर्यादा को बनाकर चल सके । आपकी चेतना इसे कैसे समझी बताने का प्रयास करें हमारे आनन्द में बढ़ौतरी होगी । जिज्ञासा का समाधान पाने के लिए वार्षिक सदस्यता लेना होगी । सांझा करें विषय वस्तु रहस्यमयी ज़रूर है लेकिन यह सिद्धांत पर । ओऊम् हरि ओऊम् हरि ओऊम् हरि ओऊम् जय मां जय मां जय मां जय मां जय मां