धनतेरस पर्व

Share

Astro Pawan Kumar Pandey Ji 22nd Oct 2022

दीपावली के त्योहार को आने में अब कुछ ही दिन शेष है। इस त्योहार से पहले धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन (धनतेरस) भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना करने का विधान होता है। भगवान धन्वंतरि के साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यम देव की पूजा करता है उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती। कहते हैं जिन लोगों के घर में नकारात्मकता का वास होता है उन लोगों को यम की पूजा के साथ ही इस दिन दीपदान भी करना चाहिए। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे और क्यों किया जाता है इस दिन यम देवता के लिए दीपदान…



*यमदेवता के लिए किया जाता है दीपदान*

जैसा की सभी जानते हैं कि यमराज मृत्यु के देवता है ऐसे में लोग उनसे अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। जो लोग अकाल मृत्यु से बचना चाहते हैं उन लोगों को धनतेरस के दिन घर के मेन गेट पर 13 और इतने (13) ही दीपक घर  में जलाने चाहिए। इस बात का ख्याल रखें कि जो मुख्य दीपक होगा उसे रात को सोने के दौरान ही जलाना चाहिए। इसके लिए आपको पुराने दीपक का इस्तेमाल करना है। दक्षिण दिशा यम की मानी जाती है ऐसे में जब आप इस दीपक को जलाकर रखें तो इसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ ही होना चाहिए। धनतेरस के दिन घर में नकारात्मक उर्जा को दूर करने के लिए दीया भी घूमाना चाहिए।  इन उपायों को करने से आपके यमराज की भी कृपा बनी रहती है साथ ही आपके घर में सुख-शांति रहती है।



**क्यों किया जाता है इस दिन दीपदान**

धनतेरस के दिन दीपदान किए जाने के पीछे एक मान्यता है। कहा जाता है कि एक बार हेम नाम के एक राजा की पत्नी का जन्म हुआ था तो ज्योतिषियों ने बच्चे की नक्षत्र गणना करके राजा को ये बताया था कि जिस भी दिन इसकी शादी होगी, उसके चौथे दिन ही इसे मृत्यु आ जाएगी। पुत्र की मृत्यु के डर से राजा ने उसे यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। जब एक दिन महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उनकी नजर राजा हेम के पुत्र पर पड़ती है। राजा हेम के पुत्र से वो इतनी आकर्षित होती हैं कि उनसे गंधर्व विवाह कर लेती हैं।

शादी के चार दिनों बाद जैसा की कहा गया कि राजा का मौत के आगोश में चला जाता है। अपने पति की मौत पर महाराज हंस की युवा बेटी खूब रोने लगती है। नवविवाहिता को इस तरह से बिलख-बिलख कर रोते देख यमदूतों का हृदय पसीज जाता है और वो यमराज से पूछते हैं कि महाराज क्या ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे की अकाल मृत्यु से बचा जाए। यम देव इसपर जवाब देते हुए कहते हैं कि अकाल मृत्यु से बचने का एक उपाय है कि धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करें। इससे अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता। यही वजह है कि तभी से धनतेरस पर अकाल मृत्यु से बचने के लिए यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा चलती आ रही है।

आपको और आपके परिवार को हमारी तरफ से धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।

 


Like (0)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।