*देवउठनी एकादशी 12 नवंबर से शुरू होंगे विवाह मुहूर्त* कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी, 12 नवंबर से सावा शुरू हो जाएंगे, देव उठनी एकादशी को लोकाचार में अबूझ सावा कहा गया है, इसमें बिना मुहूर्त देखे विवाह कर सकते है। शास्त्रों के अनुसार केवल साढ़े तीन मुहूर्त ही मान्य है.. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजया दशमी(दशहरा) और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा। लेकिन लोकाचार में चार मुहूर्त मान्य है...आषाढ़ शुक्ल भड़लिया नवमी, देव उठनी एकादशी, माघ शुक्ल वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल फुलेरा दोज, आदि लोकाचार्य में मुहूर्त में मान्य है। शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित " ज्योतिष संस्थान" के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते ही शुभ कार्यों में वृद्धि हो जाती हैं... विवाह मुहूर्त आदि की शुरुआत हो जाती हैं। इसे देव प्रबोधिनी एकादशी नाम से भी जाना जाता है। *देवउठनी एकादशी अथवा द्वादशी तिथि को भगवान शालिग्राम (विष्णु) और तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत षोडशोपचार पूजन करने की परंपरा है! वाराह पुराण। सर्व लोक हितार्थ के लिए..... भगवान विष्णु 4 माह बाद निद्रा से जागते हैं, *उतिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रा जगतपते* इसके बाद चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता हैं। कैसे करें पूजा... तुलसी का गमला चौकी में रखकर तथा विष्णु स्वरूप शालिग्राम की पंचोपचार षोडशोपचार विधिवत पूजन करें और श्रृंगार का समान तुलसी को अर्पण करें।तुलसी भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है। 15 को कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। अजय शास्त्री के अनुसार कार्तिक अमावस्या को मानवों की दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा को सभी देवता दीपावली मानते हैं। पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी_ सुननी चाहिए व पुण्य नदियों में स्नान कर जरूरतमंद लोगों को दान आदि करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन से विवाह..... संस्कार,यज्ञोपवीत, आदि शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। *विवाह मुहूर्त* 12 13 17 18 23 25 26 28 नवंबर *दिसंबर* 2 4 5 9 10 14 व 15 दिसंबर को अंतिम सावा होगा। फिर 16 दिसंबर को धनु राशि में सूर्य प्रवेश करते ही शुरू होगा खरमास, इसमें शुभकार्य वर्जित फिर मकर संक्रांति के बाद शुरु होंगे विवाह मुहूर्त।