रक्षाबंधन मुहूर्त 〰️〰️🔸〰️〰️ भाई बहन के पावन रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा युगों से मनाया जा रहा है इस त्योहार के माध्यम से भाई बहन के बीच आपसी जिम्मेदारी और स्नेह में वृद्धि होती है। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के मौके पर अक्सर भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है लेकिन इस साल भी पिछले साल की ही तरह भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी। भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा 15 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि शाम 5.58 तक होने से यह त्योहार पूरे दिन मनाया जाएगा। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन में भद्रा टाली जाती है, जो इस बार पूरे दिन नहीं है। चार साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है तब रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। रक्षाबंधन शुभ समय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष पंचांगों के अनुसार पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त को दोपहर 3.45 बजे से प्रारंभ हो जाएगी। जो 15 अगस्त को शाम 5.58 तक रहेगी। भद्रा भी सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी। वैसे तो रक्षा बंधन का मुहूर्त सुबह 05:54 से शाम 5:58 तक रहेगा लेकिन स्थानीय मान्यताओं अनुसार कुछ लोग शुभ चौघड़िए या अभिजीत मुहूर्त देखकर भी राखी बांधते है उनकी सुविधा अनुसार चौघड़िया और अभिजीत मुहूर्त भी दिए जा रहे है। चौघड़िया अनुसार राखी बांधने का शुभ समय प्रातः 5:53 से 7:23 तक शुभ प्रातः 10:48 - 12:25 तक चर दिन 12:25 - 14:03 तक लाभ दिन 14:03 - 15:41 तक अमृत दोपहर बाद का मुहूर्त- दोपहर 1:43 से शाम 3:41 तक रहेगा। 11:59 से 12:52 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा अन्य समय की अपेक्षा इस समय राखी बांधना ज्यादा शुभ रहेगा। सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात में भी राखी बांधी जा सकेगी लेकिन फिर भी पूर्णिमा तिथि के रहते राखी बांधना शुभ रहेगा। रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र प्रातः 08:01 से होने के कारण पंचक भी लगेगा, लेकिन रात्रि 9 बजकर 27 मिनट पर आरम्भ होने के कारण राखी बांधने में यह बाधक नहीं बनेगा। घनिष्ठा से रेवती तक पांच नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है। यह पांच दिनों तक चलता है। पंचक को लेकर भ्रांति यह है कि इसमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। पंचक में अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है। पंचक में शुभ कार्य करने में कोई आपत्ति नहीं है। पर्व के सिंह के सूर्य में आने से इसकी महत्वता और बढ़ गई है। रक्षाबंधन के विशेष उपाय 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए। रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे। उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके। ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।