*वैदिक रक्षासूत्र द्वारा राखी का त्योहार मनाए* *रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों ,आत्मिक रिश्ते से जुड़ा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है!पुरातन काल से हम इन्हीं परम्पराऔ का पालन कर रहे हैं ! बच्चों को भी इससे अवगत करायें !ये हमसब का कर्तव्य हैं ! *📿कैसे बनायें वैदिक राखी ?📿* *💮वैदिक राखी बनाने के लिए एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें । उसमें💮* *🍃(१) दूर्वा* *🍃(२) अक्षत (साबूत चावल)* *🍃(३) केसर या हल्दी* *🍃(४) शुद्ध चंदन* *🍃(५) सरसों के साबूत दाने* *💮इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं ।💮* *📿वैदिक राखी का महत्त्व📿* *💮वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं ।💮* *🎋(१) दूर्वा* *🏵जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही ‘हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सद्गुण फैलते जायें, बढ़ते जायें...’ इस भावना का द्योतक है दूर्वा । दूर्वा गणेशजी की प्रिय है अर्थात् हम जिनको राखी बाँध रहे हैं उनके जीवन में आनेवाले विघ्नों का नाश हो जाय ।* वैज्ञानिक व अयुर्वेदिक द्रष्टिकोण दूब या दुर्वा (वैज्ञानिक नाम- ‘साइनोडॉन डेक्टिलॉन’) वर्ष भर पायी जाने वाली घास है जो जमीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढ़ती है। औषधीय के रूप में प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं मधुमेह रोगी के लिये भी बहुत लाभकारी प्रमाणित किया जा चुका है। अगर हम पानी के साथ ताजी दूब धुलकर उबाल कर सेवन करें तो 59 प्रतिशत ब्लड शुगर लेवल कम कर देता है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है दूब को संस्कृत में ‘दूर्वा’, ‘अमृता’, ‘अनन्ता’, ‘गौरी’, ‘महौषधि’, ‘शतपर्वा’, ‘भार्गवी’ इत्यादि नामों से जानते हैं। दूब घास पर ऊषाकाल में जमीं हुई ओस की बूँदें मोतियों सी चमकती प्रतीत होती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में हरी-हरी ओस से परिपूर्ण दूब पर भ्रमण करने का अपना निराला ही आनन्द होता है तथा आँखों के स्वास्थ्य के लिये श्रेयस्कर माना जाता है। पशुओं के लिये ही नहीं अपितु मनुष्यों के लिये पूर्ण पौष्टिक आहार हैं *🎋(२) अक्षत (साबूत चावल)* *🏵हमारी भक्ति और श्रद्धा भगवान के, गुरु के चरणों में अक्षत हो, अखंड और अटूट हो, कभी क्षत-विक्षत न हो - यह अक्षत का संकेत है । अक्षत पूर्णता की भावना के प्रतीक हैं । जो कुछ अर्पित किया जाय, पूरी भावना के साथ किया जाय ।* वैज्ञानिक व अयुर्वेदिक दृष्टि से चावल पचने पर मधुर, पेट को ठण्डा करता है। यह फाइवरयुक्त, तैलीय, जल्द पचने वाला और चावल सभी शालि धान्यों में श्रेष्ठ तथा वात पित और कफ तीनों दोषों को शान्त करने वाला होता है। उपरोक्त गुणों के अलावा यह भूख बढ़ाता है। *🎋(३) केसर या हल्दी* *🏵केसरकेसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात् हम जिनको यह रक्षासूत्र बाँध रहे हैं उनका जीवन तेजस्वी हो । उनका आध्यात्मिक तेज, भक्ति और ज्ञान का तेज बढ़ता जाय । केसर की जगह पिसी हल्दी का भी प्रयोग कर सकते हैं । हल्दी पवित्रता व शुभ का प्रतीक है । यह नजरदोष व नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है तथा उत्तम स्वास्थ्य व सम्पन्नता लाती है ।* वैज्ञानिक व औषदिय द्रष्टिकोण से केसर फाइबर, मैंगनीज, विटामिन सी, पोटेशियम आयरन, प्रोटीन, विटामिन ए आदि 1 फाइबर पेट संबंधी समस्या जैसे अपच, कब्ज, गैस व मोटापे से निजात दिलाने का काम करता है 2 वहीं विटामिन सी त्वचा में कोलेजन को बढ़ाता और त्वचा को एंटी एजिंग प्रभावों से मुक्त रखने का काम करता है 3 केसर में मौजूद पोटेशियम शरीर में तरल के संतुलन को बनाने में मदद करता है 4 आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद कर एनिमिया से छुटकारा दिलाने का काम करता है (हल्दी) डायबिटीज कंट्रोल करती है, कैंसर से बचाव, खून साफ करें, दिमाग स्वस्थ रखें,शरीर की सूजन कम करे, बढ़ती उम्र थाम ले, व शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार *🎋(४) चंदन* *🏵चंदनचंदन दूसरों को शीतलता और सुगंध देता है । यह इस भावना का द्योतक है कि जिनको हम राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में सदैव शीतलता बनी रहे, कभी तनाव न हो । उनके द्वारा दूसरों को पवित्रता, सज्जनता व संयम आदि की सुगंध मिलती रहे । उनकी सेवा-सुवास दूर तक फैले ।* वैज्ञानिक दृष्टिकोण व आयुर्वेद में एक उम्दा ब्यूटी इंग्रीडीयंट्स है, जो प्राकृतिक, भरोसेमंद और प्रभावी भी है इसमें है एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण एस्ट्रिंजेंट की तरह काम करता है इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं एक्ने और ब्लैकहैड्स दूर करता है स्किन सॉफ्ट सनटैन से राहत, डार्क सर्कल को दूर करें ऑयली स्किन सही करें *🎋(५) सरसों* *🏵सरसों तीक्ष्ण होती है । इसी प्रकार हम अपने दुर्गुणों का विनाश करने में, समाज-द्रोहियों को सबक सिखाने में तीक्ष्ण बनें ।* वैज्ञानिक एवं अयुर्वेदिक द्रष्टिकोण से सरसों भारतीय परिवेश के आम जीवन का हिस्सा है। इसके दाने स्वास्थ्य लाभ के गुणों से भरपूर होते हैं। सरसों मांसपेशियों के दर्द, सोरायसिस, दाद और सांस की समस्याओं में राहत प्रदान करता है। सरसों के पौधे के विभिन्न हिस्सों का उपयोग कैंसर तथा डायबिटीज के इलाज में किया जाता है और इससे शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने (Detoxification) में भी मदद मिलती है। सरसों स्नायविक तनाव का शमन करता है और हृदय को दुरुस्त रखती है। यह त्वचा और बालों में निखार लाता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है और रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है। *💮अतः यह वैदिक रक्षासूत्र वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व-मंगलकारी है । यह रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता है :💮* *🍃येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।* *🍃तेन त्वां अभिबध्नामि१ रक्षे मा चल मा चल ।।* *🍃इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है । यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सद्गुरु व इस्टदेव को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है भक्ति बढ़ती है! ये जानकारी सभी को होनी चाहिए जिससे ये पर्व आत्मिक भावना और प्रेमभाव से सरौबार हो ! !! ज्योतिष सलाहाकार एवं वास्तु विशेषज्ञ रविन्द्र पारीक !!
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रक्षासूत्र द्वारा राखी का त्योहार मनाए
बहुत खूब रक्षा सूत्र और सकारात्मक चीजों का उपयोगी लेख
Happy Rakhi purnima