गणेशजी का नाम हिन्दू धर्म के 5 प्रमुख देवों (पंचदेव) में शामिल है और शास्त्रों में गणेशजी के 12 प्रसिद्ध नाम बताए गए हैं जिनका सुमिरन करने से हर बाधा व संकट का अंत होता है. तो आइए आज हम आपको उन बारह नामों से अवगत करवाते है जिनको याद करने से और जिनका जाप करने से आपकी सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी.

"/> Consultation & Coaching By Experts(Astrologer, Psychologist, Yoga/Naturopathy, Ayush Doctor, Career Consultant, Business Consultant, Finance Consultant, Legal Consultant, Startup Coach)

गणेश जी के बारह नाम करें सभी विघ्न बाधाओं को दूर.और बुधवार के दिन भगवान गणेश को चढ़ाएं ये चीज़े नहीं होगी धन-संपदा की कमी !!!

Share

Deepika Maheshwari 26th Nov 2019


सनातन एवं हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश को, विघ्नहर्ता अर्थात सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है। पुराणों में गणेश जी की भक्ति को शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई है। हर बुधवार के शुभ दिन गणेश जी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं।

गणेश भगवान की पूजा विधि
-------------------------------------

प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से शुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्रपत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ मिट्टी, नमक और नींबू से अच्छे से साफ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके आसान पर विराजमान होकर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें।

शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।

अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ॐ गं गणपतये नमः का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए।

1. सुमुख, 2. एकदंत, 3. कपिल, 4. गजकर्ण, 5. लंबोदर, 6. विकट, 7. विघ्नविनाशक, 8. विनायक, 9. धूम्रकेतु, 10. गणाध्यक्ष, 11. भालचन्द्र, 12. गजानन।

 

 

जैसा सभी जानते हैं कि एक सप्ताह में 7 दिन होते हैं और हिन्दू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता या देवी को समर्पित होता है। इसलिए माना जाता है कि उस दिन उस देवी व देवता की कृपा पाने के लिए उनकी पूर्ण विधि अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। उस विशेष दिन उनसे जुड़े खास मंत्रों, चालीसा और विशेष कृपा करने से न केवल भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं बल्कि भक्त की सच्ची आराधना को देख वो उनके सारे संकट भी दूर कर देते हैं, जिससे उनकी हर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। उस दिन की विशेषता को देखते हुए कुछ ख़ास ज्योतिषीय उपाय भी सुझाए गए हैं, जिनको अपनाकर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। बुधवार को करें भगवान गणेश की आराधना अगर बुधवार की बात करें तो इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव के छोटे पुत्र गजानन यानी श्री गणेश की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान है। गणेश जी को हमेशा प्रसन्न रहने वाले देवता के तौर पर देखा जाता है। क्योंकि माना गया है कि भगवान गणेश जल्द ही अपने भक्तों द्वारा की गई पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर उन्हें दिल खोलकर खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसी कारण यदि बुधवार के दिन या चतुर्थी के दिन कोई भी व्यक्ति गणेश जी को उनकी पसंद की चीजें अर्पित करता या उनका प्रयोग कर बुधवार के दिन पूजा करता है तो वे जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं। उनके इस वरदान के बाद उस व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी धन-संपदा, ज्ञान आदि की कमी नहीं रहती। तो आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी पांच चीज़े हैं जिन्हे भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र गणेश जी को पूजा के समय अर्पित करना बेहद शुभ माना गया है:- दूर्वा गणेश जी की पूजा-अर्चना के दौरान उन्हें 21 दूर्वा अर्पित करने का विधान है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा हैं, जिसके अनुसार जब अनलासुर और गणपति के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, तब गजानन ने अनलासुर को निगल लिया था। जिसके बाद भगवान गणेश को असहनीय तेज जलन होने लगी थी। जिसे देख कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर गणपति को खिलाई, जिससे उनकी पीड़ा कम हुई और वे स्वस्थ हो गए। इसलिए ही बुधवार गणेश जी का व्रत करने वालों को उन्हें 21 दूर्वा चढ़ाना शुभ माना जाता है। मोदक मोदक को गणेश जी का सबसे प्रिय व्यंजन बताया गया है। इसकी महत्वता के बारे में कई पौराणिक कथाओं में भी वर्णन किया गया है। उन्ही में से एक कथा के अनुसार, जब परशुराम जी से युद्ध के दौरान गजानन का एक दाँत टूट गया और वे एक दंत हो गए थे, तब से माना जाता है कि उन्हें अन्य खाद्य पदार्थों को खाने में कुछ परेशानी आने लगी थी। जिसके बाद ही उनके खाने के लिए मोदक बनाया गया, जिसे गणपति ने आराम से बेहद चाव के साथ उसे खाया। उन मोदकों को खाकर श्री गणेश का मन प्रसन्नचित हो उठा और उसी के बाद से ही मोदक उनका सबसे पसंदीदा व्यंजन बन गए। इसलिए गणेश जी को जल्द प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाना शुभ माना गया है। शंख गणेश जी की पूजा-आराधना के दौरान तेज आवाज में शंख बजाने का विधान है। जिसके पीछे का विशेष कारण यह है कि गजानन की चार भुजाएं हैं, जिनमे से अपनी एक भुजा में वे शंख धारण करे रहते हैं। माना गया है कि गजानन को शंख से निकलने वाली ध्वनि और उसकी आवाज़ बेहद प्रिय होती है, इसलिए उनकी पूजा में इसका इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। गेंदा के फूल माना जाता है कि गणपति को लाल या पीले गेंदे का फूल चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। क्योंकि उन्हें गेंदे के फूल बेहद अच्छे लगते हैं इसलिए यदि कोई व्यक्ति उन्हें विशेष तौर से बुधवार के दिन गेंदे के फूल की माला अर्पित करें या उन्हें गेंदे के फूल चढ़ाएं तो इससे भगवान गणेश जल्द ही भक्त की मनोकामना सुन लेते हैं। केला गणेशा जी का एक नाम गजानन भी है, जिसका अर्थ अपने नाम के अनुसार ही होता है कि गज मुख वाले। जिस प्रकार हाथी को केला बेहद प्रिय होता है,ठीक उसी प्रकार गज मुख होने के कारण गजानन को भी केला सबसे ज्यादा पसंद है। इसलिए माना जाता है कि बुधवार की पूजा में गणपति को केला चढ़ाने से वे जल्द ही प्रसन्न होते है!


Like (77)

Comments

Post

very good


good


i daily chant these name,too much effective


very knowledgable


sonamModani

sarvprtham ganeshji ji ko hipoojte hai. ganeshji ko modak pasand hai.essa karna jarror chahiya vvvnice manav jivan me upyogi margdartion .milnabhi chhalange hai bahut hi badiya ji


nice info


nice info


Kiran Somani

Jai Shri Ganesh


sonamModani

accha hai aap jo jeevan me pooja aaradna k bata rahhai vh durlbh hai.essa apnana chahiye logo ko.jsk


nice info


nice info


anshmaheshwari

nice article


RahulRathi

जय श्री गणेश


Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

Top