अधिकतर जब कोई काम नही बनता, समय अच्छा न हो या जिस भी मामले में दिक्कत हो तब हम कुंडली मे बने अशुभ योग और अशुभ फल देने वाले ग्रहो के उपाय करते है
जिससे स्थिति ठीक होने लगे और यह सही भी है।लेकिन किस भाव, किस फल प्राप्ति के लिए किस तरह से उपाय करने चाहिए यह आपकी कुंडली मे ग्रहो और भावो की स्थिति पर निर्भर करेगा क्योंकि ग्रह और राशिया यह चार तत्वों का मुख्य रूप होती है
अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल।अब ग्रह और वह भाव जिसके लिए भी कुंडली मे उपाय करना है वह किस तत्व के अंतर्गत आ रहा है उसी तत्व के अनुसार उपाय करने पर बहुत जल्द और पूरा लाभ मिलता है इसके विपरीत बिना ग्रहो और भाव की स्थिति की सही तरह जाच न करने से उपाय काम नही करते और कहते हुए भी कई लोगो से सुनने में आता है मैन अमुक उपाय किया, इतने उपाय किये कोई काम नही आया आदि।। अब किस तरह से तत्वों के अनुसार उपाय 100प्रतिशत रामवाण की तरह काम करेंगे इस विषय पर बात करते हौ उदाहरणों सहित।।
#उदाहरण1:- किसी जातक की नोकरी न लग रही हो या नोकरी होने पर उसमे समस्याए आ रही है या नोकरी/व्यापार(रोजगार)संबंधी कोई भी दिक्कत है तो दसवे भाव संबंधित उपाय किये जाते है लेकिन यहाँ सबसे पहले देखा जाएगा दसवे भाव मे जो राशि है वह किस तत्व की है माना दसवे भाव मे जल तत्व की राशि मीन हो मीन राशि का स्वामी गुरु ग्रह है अब देखे माना दशमेश गुरु भी जल तत्व की राशि कर्क वृश्चिक या मीन में ही हो लेकिन अशुभ हो गया हो या पीड़ित हो तब कार्य छेत्र में तो दिक्कते तो आएगी लेकिन तो ऐसी स्थिति में गुरु के उपाय करने होंगे तो ऐसे उपायों में गंगा, नहर में गुरु से संबंधित चीजो की पूजा करनी चाहिए जैसे गंगा के निकट धूप दीप जलाया,गुरु की चीजो को नदी, गंगा या किसी साफ नहर में बहाने से तुरंत गुरु संबंधित और नोकरी/व्यापार संबंधी दिक्कते दूर हो जाएगी क्योंकि दसवे भाव मे भी जल तत्व की राशि #मीन है और दसवे भाव मीन राशि का स्वामी गुरु भी जल तत्व राशि मे है तो जल का उपाय जल में करने पर लाभ होगा न कि हवन(अग्नि तत्व) जप(पृथ्वी तत्व)आदि से।अब मान लिया उपरोक्त स्थिति में दसवे भाव मे कोई अग्नि तत्व का ग्रह जैसे सूर्य मीन राशि मे दसवे भाव मे होता तो यहाँ अग्नि तत्व के उपाय से भी लाभ होता क्योंकि सूर्य अग्नि है जो कि दसवे भाव मे बैठा है जल तत्व की राशि मे तो यहाँ अग्नि रूपी सूर्य को रोज जल देने से बहुत लाभ नोकरी/व्यापार में मिलता है क्योंकि सूर्य अग्नि दसवे भाव मे बैठा है जल की राशि मीन में तो जल सूर्य देना लाभकारी उपाय है।।
#उदाहरण2:- भाग्य का साथ नही मिलता या भाग्य कमजोर है लेकिन उपाय से भी लाभ नही मिलता तो यहा सबसे पहले कुंडली के नवे भाव को देखेंगे क्योंकि नवा भाव भाग्य का है देखेंगे यह नवे भाव मे कौन से तत्व की राशि है, नवे भाव का स्वामी किस तत्व का ग्रह है और कौनसे तत्व की राशि मे बैठा है माना किसी जातक की धनु लग्न की कुंडली है तो धनु लग्न में सूर्य नवे भाव का स्वामी होता क्योकि धनु लग्न के नवे भाव मे अग्नि तत्व की सिंह राशि होती है तो यहाँ नवे भाव में अग्नि तत्व की राशि सिंह और इस राशि का स्वामी भी अग्नि तत्व ग्रह सूर्य है तो यहाँ माना सूर्य और नवा भाव कमजोर या पीड़ित हुआ तब सूर्य और भाग्य को बलवान करने के लिए सूर्य संबंधित उपाय अग्नि के द्वारा करने से लाभ मिलेंगे जैसे कि सूर्य के लिए हवन, जलती अग्नि कुंड में सूर्य के लिए आहुति देना, सूर्य को जलता हुआ दीप दान करना मतलब अग्नि संबंधी उपाय क्योंकि नवे भाव मे अग्नि तत्व की राशि है और नवे भाव का स्वामी सूर्य भी अग्नि तत्व का कारक है लेकिन हाँ अगर सूर्य किसी जल तत्व कर्क/वृश्चिक/मीन राशि या पृथ्वी तत्व राशि वृष, कन्या,मकर में हुआ तब यहाँ अग्नि संबंधित उपाय के साथ सूर्य का रत्न माणिक्य पहनना भी बहुत लाभ देगा क्योंकि पृथ्वी तत्व राशि मे सूर्य हुआ तब क्योंकि रत्न(माणिक्य आदि रत्न) पृथ्वी(जमीन) में से ही निकलते है।अगर यहाँ जप करे जो कि वायु तत्व का उपाय हो गया तो सूर्य के लिए कोई खास लाभ न मिलने।क्योंकि उपाय सही स्थिति से किया जा रहा।। उदाहरण3:- माना सातवें भाव मे अशुभ शनि बैठने के कारण शादी होने में दिक्कते और विलंब हो रहा है तो एक तो शनि वायु तत्व का ग्रह है तो यहाँ सामान्य शनि के लिए शनि मन्त्रो का जप करना शादी में दिक्कतों को खत्म करेगा तुरंत क्योंकि जब हम जो करेंगे तो वह हमारे मुह से निकलकर वायु(आकाश) में उसी आवाज जाएगी जिससे वायु तत्व का उपाय काम वायु तत्व ग्रह शनि के किये इसके साथ ही शनि सप्तम भाव मे किस तत्व की राशि मे है उससे भी लाभ मिलेंगे जैसे माना शनि सातवें भाव मे वृश्चिक राशि (जल तत्व राशि) का है तो यहाँ शनि मन्त्र जप करने के साथ शनि से संबंधित चीजे सफल बहते जल में बहाने से भी लाभ मिलेंगे और शनि तुरंत शांत होकर शादी संबंधित दिक्कतों को पूरी तरह से खत्म कर देगा। जल का शनि के लिए इस लिए क्योंकि जल तत्व की राशि मे भी है लेकिन अब शनि का रत्न नीलम पहन लिया जाए तो दिक्क्त होंगी और कोई लाभ भी न मिलेंगा क्योंकि रत्न पहनना पृथ्वी तत्व उपाय है।। #उदारहण4:- माना धन संबधी दिक्कते है जिसके लिए हमे दूसरे भाव का विचार करना होगा,अब यहाँ भी माना वृश्चिक लग्न है तो दूसरे भाव मे अग्नि तत्व की राशि धनु आएगी तो यह गुरु के लिए केले के पेड़ के पास दीप(अग्नि) जलाने से गुरु धन के लिए अच्छा फल करेगा लेकिन गुरु अगर किसी कारण वायु तत्व राशि मिथुन में बैठा हो तो यहाँ गुरु ग्रह का मन्त्र जप करना भी धन वृद्धि शीघ्र करेगा और धन के मामले में अच्छे फल देने चालू कर देगा।। कहने का मतलब है अगर विपरीत तरह से उपाय किये जायें गए जैसे जल तत्व ग्रह या जो जल तत्व राशि मे है तो उस भाव या ग्रह के लिए अग्नि तत्व संबंधी उपाय किये जायेंगे तो न लाभ मिलेगा और कोई खास दिक्क्तत दूर होगी।इसी कारण कुंडली मे जिस ग्रह भाव से संबंधित दिक्कत होती है तो उस भाव में और उस भाव के बैठा ग्रह और उस भाव का स्वामी किस तत्व का ग्रह और किस तत्व की राशि मे बैठा है उसी तत्व के अनुसार उपाय करना 100प्रतिशत परिणाम देकर लाभ देगा।।
sahi hai.
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