ज्योतिष के आधार पर  विद्या अध्ययन हेतु विषय के चयन की संभावनाऐं chapter 2

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ज्योतिष के आधार पर  विद्या अध्ययन हेतु विषय के चयन की संभावनाऐं chapter 2

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Ravindra Kumar Wadhwa 26th Aug 2020

ज्योतिषीय आधार पर विघ्या अघ्ययन हेतु विषय के चुनाव को लेकर मेरे द्धारा पूर्व में साइंस बायोलाॅजी सब्जेक्ट को लेकर अपने अनुभव साझाा कियें थें । आज मै तकनीकी क्षैत्र में सफलता के लियें ज्योतिषीय आधार को स्पष्ट करना चाहता हूॅ । उच्च षिक्षा अध्ययन हेतु, शिक्षा के दोनों नैसगिक कारक ग्रहों बृहस्पति एवं बुध को बलशाली होना नितान्त आवश्यक है साथ ही कुण्ड़ली का पंचम एवं नवम् भाव एवं पंचमेश एवं नवमेश को भी अच्छी स्थिति में होना चाहियें ।

तकनीकी षिक्षा के लियें गुरू एवं बुध के सशक्त होने के साथ साथ जातक की कुण्ड़ली में यदि शनि योगकारक ग्रह होकर पंचम,दशम अथवा एकादश भाव पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव डाल रहें हो साथ ही कुण्ड़ली में शनि अंशों एवं षड़बल के आधार पर बली हो तो जातक के उच्च तकनीकी शिक्षा के योग बनतें है । अर्थात् ऐसे जातकों को साइंस मेथंस सब्जेकट लेना चाहियें । जातक की कुण्ड़ली में शनि के पंचम,दशम अथवा एकादश भाव पर प्रभाव के साथ-साथ यदि मंगल का भी प्रभाव हो तो जातक सिविल इंजनीयरिंग के क्षैत्र में सफलता प्राप्त करता है ।

इन्ही स्थानों पर शनि के साथ -साथ यदि राहू का प्रभाव हो तो जातक केमिकल एवं मैकेनिकल इंजनीयरिंग में सफलता प्राप्त करता है । शनि के साथ उक्त भावों में बुध का भी प्रभाव हो तो ऐसे जातक विधि अर्थात् न्याययिक क्षैत्र मे ंसफल होतें देखें गयें है, ऐसे जातकों को विधि एवं न्यायिक शिक्षा क्षैत्र का अध्ययन करना चाहियें ।

किसी जातक की कुण्ड़ली में शनि बलशाली हो किन्तु शिक्षा के नैसर्गिक कारक ग्रह बृहस्पति एवं बुध कमजोर हो तो ऐसे जातक को तकनीकी क्षैत्र की प्रारम्भिंक शिक्षा आई0टी0आई0 आदि का ज्ञान प्राप्त कर रोजगार से जुड़ना बेहतर रहता है अर्थात् ऐसे जातक तकनीकी क्षैत्र में तो जाते है किन्तु उच्च शिक्षा ग्रहण नही कर पातें । जिन जातकों के

 

शनि वक्री अथवा नीच राशि में हो तो ऐसे जातकों का गणित विषय कमजोर होता है ऐसे जातकों को विध्या अध्ययन में साइंस मेथंस सब्जेक्ट नही लेना चाहियें । यदि किसी जातक की कुण्ड़ली में शिक्षा के नैसर्गिक कारक ग्रह बृहस्पति एवं बुध कमजोर,वक्री, अथवा नीच राषि में हो किन्तु जातक क कुण्ड़ली में शनि योगकारक ग्रह होकर कुण्ड़ली के नवम,दशम अथवा एकादश भाव पर प्रभाव अंषों एवं षड़बल के आधार पर बलशाली होकर प्रभाव ड़ाल रहा हो तो ऐसे जातक शनि से संबधित व्यवसाय अर्थात मशीनरी,निर्माणकार्य,कलकारखानें,माईन्स,पत्थर,बिल्ड़िगमेटेरियल,मोटरपार्टस,गैस,पैट्रोलियम,टायर,रबर,प्लास्टिक,कृषि आदि कार्याे में काफी सफल होतें देखें है । इन सभी विषयों पर विश्लेषण करने हेतु जातक की महादशा,अन्र्तेदशा, प्रत्यान्तर दशा को भी देखना आवश्यक है ।

 


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