. * साढ़ेसाती *
तथाकथित पंडितों के आयुध भंडार का एक अचूक अस्त्र साढ़ेसाती, ढैया
नियम यह है कि गोचर में शनि जब चन्द्र से द्वादश में आएगा तो साढ़ेसाती शुरू होगी और चन्द्र से द्वितीय भाव में रहने तक यह रहेगी यानी साढ़े सात वर्ष,यह साढ़ेसाती प्रत्येक तीस वर्ष में एक बार आती है
इसके बाद ढैया, शनि जब चन्द्र से चतुर्थ या अष्टम में होगा तो इसे ढैया कहते हैं
फिर एक भाव और ले लिया पंचम,कहते हैं कि शनि जब पंचम भाव में आता है तो राजा को भी रंक बना देता है
इसके बाद मंगल पर भी शनि जब जब आएगा तो बहुत ही अनिष्टकारी होगा
इन सभी भावों मै शनि प्रत्येक तीस वर्ष में एक बार आता है
आइए अब हम शनि के भ्रमण के इन वर्षों को जोड़ लेते हैं
साढ़ेसाती के 7.5 वर्ष
चतुर्थ(ढैया)के 2.5
अष्टम(ढैया)के 2.5
पंचम के 2.5
मंगल पर 2.5
कुल हो गए 17.5 वर्ष, ( तीस वर्षों में )
सामान्यतः मनुष्य जीवन में ऐसा तीन बार होता है, तो आधा से ज्यादा जीवन तो शनि की भेंट चढ़ गया और जो शेष बचा वह राहु और मंगल ले जाएंगे, तो फिर बचता क्या है ? इन तथाकथित पंडितों ने हमारे पूरे जीवन का हिसाब किताब पूरा पूरा लगा रखा है,बचके कैसे जाओगे
नौ ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह गुरु और शुक्र हैं, ये ग्रह जब अशुभ भावों, के स्वामी होकर पीड़ित होते हैं तो शनि,राहु से ज्यादा खतरनाक होते हैं, कहने का तात्पर्य यह है कि सभी ग्रह एक समान ही हैं,अच्छा और बुरा दोनों मिलाकर ही जीवन होता है, प्रत्येक मनुष्य के जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं,किसी भी ग्रह से डरने की जरूरत नहीं है
होई हैं वही जो, राम रची राखा
आपको ज्योतिष की गहरी समझ नहीं है भाई
सत्य वचन