घर छोटा हो या बड़ा किंतु वह पूर्णतया आरामदायक, मजबूत एवं शांतिप्रदायक भी होना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम गृह-निर्माण एवं उसकी साज-सज्जा के साथ-साथ घर के पर भी पूरा ध्यान दें ताकि ईंट-पत्थरों से बना मकान, जिसे कल हम अपना घर कहेंगे उसे किसी की बुरी नजर न लगे। गृह निर्माण में यदि हम वास्तु नियमों का ध्यान रखेंगे तो कोई कारण नहीं होगा कि हमारे घर-परिवार की खुशियों को दुखों और परेशानियों का ग्रहण लग जाय। साथ ही घर में रहते हुए भी कुछ नियमो का पालन करने से वास्तु दोषो में कमी ला सकते है 1. घर का मुखय द्वार पूर्व या उत्तर में उत्तम माना गया है यदि ऐसा न हो पा रहा हो तो घर के मुखय द्वार पर सोने चांदी अथवा तांबे या पंच धतु से निर्मित 'स्वास्तिक' की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। 2. घर के मुखय द्वार पर तुलसी का पौधा रखें। 3. यदि घर में तुलसी का पौधा न हो तो अवश्य लगाएं। कई रोगों व दोषों का निवारण अपने आप हो जाएगा 4. फर्नीचर का आकार गोल, त्रिकोण, षट्कोण या अण्डाकार नहीं होना चाहिए। 5. तथा जहां पर पैसे रखने हों वहां पर सुगंधित दृव्य या इत्र, परफ्यूम आदि नहीं रखने चाहिए। 6. फर्श (फ्लोरिंग), दीवार या छत आदि पर दरारे नहीं पड़नी चाहिए। यदि ऐसा है तो उन्हें शीघ्र ही भरवा देना चाहिए। 7. घर के किसी भी कोने में सीलन नहीं होनी चाहिए और न ही 8. घर के किसी कोने में हर वक़्त अंधेरा नहीं रहना चाहिए। 9. शाम को कम से कम 15 मिनट पूरे घर की लाइट अवश्य जलानी चाहिए। 10. बिजली के स्विच, मोटर, मेन मीटर, टी.वी., कम्प्यूटर आदि आग्नेय कोण में ही होने चाहिए इससे आर्थिक लाभ सुगमता से होता है। 11. घर में कभी भी मकड़ी के जाले नहीं लगने चाहिए नहीं तो राहु खराब होता है तथा राहु के बुरे फल भोगने पड़ते हैं। 12. घर में कभी भी , महाभारत, युद्ध, उल्लू आदि की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। केवल शांत और सौम्य चित्रों से ही घर की सजावट करनी चाहिए। 13. वास्तुअनुसार अपने घर में चटकीले रंग का प्रयोग यथासंभव नहीं करायें। 14. घर में कंटीले पौधे नहीं लगाएं। 15. अविवाहित कन्याओं के कमरे में सफेद चांद का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। । 16. सोते समय गृहस्वामी का सिर सदैव दक्षिण केी तरफ ही होना चाहिए इससे आयु वृद्धि होती है एवं गृह स्वामी का पूर्ण प्रभुत्व घर पर बना रहता है। 17. यदि प्रवास पर हों तो पश्चिम की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। जिससे जितनी जल्दी हो सके अपने घर वापस आ सकें। 18. घर में सीढ़ियों का स्थान पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ही होना चाहिए, 19. कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां न बनवाएं। 20. सीढ़ियों की संखया हमेशा विषम ही होनी चाहिए जैसे- 11, 13, 15 आदि। 21. यदि घर में सीढ़ियों के निर्माण संबंधी कोई दोष रह गया हो तो मिट्टी की कटोरी से ढक कर उस स्थान पर जमीन के नीचे दबा दें। ऐसा करने से सीढ़ियों संबंधी वास्तु दोषों का नाश होता है। 22. संध्या के समय घर में एक दीपक अवश्य जलाएं तथा ईश्वर से अपने द्वारा किए गये पापों के लिए क्षमा याचना करें। 23. घर का प्रवेश द्वार सदैव साफ रखना चाहिए। प्रवेश द्वार पर हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। ऐसा करने पर घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा आती है। 24. यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवाएं। जिससे बाहर का कचरा अंदर ना सके। कचरा भी वास्तु दोष बढ़ाता है। 25. प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर आदि लगाए जा सकते हैं। यदि आप चाहे तो दरवाजे पर ऊँ भी लिख सकते हैं। घर के प्रवेश द्वार पर ये शुभ चिह्न बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। 26. प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं। द्वार के सामने लगाने के लिए सूरजमुखी के फूलों की तस्वीर पवित्र और शुभ मानी गई है। 27. घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) में अंधेरा न रखें तथा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) में तेज रोशनी का बल्व न लगाएं। 28. घर के सदस्य परस्पर सहयोग व शांति से रहें। लड़ने-झगड़ने अथवा चिल्लाकर बोलने से आभामंडल पर बुरा असर होता है 29. . घर के आसपास यदि कोई सूखा पेड़ या ठूंठ है तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए। वास्तु के अनुसार सूखे पेड़ या ठूंठ से घर में नकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी सकती है हो। घर के आसपास सुंदर और हरे-भरे वृक्ष होना चाहिए। 30. घर में तुलसी का पौधा रहता है तो कई प्रकार के वास्तु दोष दूर रहते हैं। तुलसी के पौधे का पास रोज शाम को दीपक भी लगाना चाहिए। 31. इंटीरियर डेकोरेशन के लिए कुछ ऐसी कलाकृतियों का प्रयोग होता है जो सूखे ठूंठ या नकारात्मक आकृति के होते हैं। ये सभी मृतप्राय: सजावटी वस्तुएं वास्तु शास्त्र में अच्छे नहीं माने जाते हैं अत: इनके प्रयोग से भी बचें। 32. यदि ड्रॉइंगरूम में फूलों को सजाते हैं तो ध्यान दें कि उन्हें प्रतिदिन बदलते रहना जरुरी है। चूंकि जब ये फूल मुरझा जाते हैं तो इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलने लगती है। 33. . कभी-कभी बेडरूम की खिड़की से नकारात्मक वस्तुएं दिखाई देती हैं जैसे- सूखा पेड़, फैक्ट्री की चिमनी से निकलता हुआ धुआं आदि। ऐसे दृश्यों से बचने के लिए खिड़कियों पर परदा डाल दें। 34. . किसी भी भवन के मुख्य द्वार के पास या बिल्कुल सामने बिजली के ट्रांसफार्मर लगे होते हैं जिनसे चिंगारियां निकलती हैं। ऐसे दृश्य भी नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। 35. पुराने भवन के भीतर कमरों की दीवारों पर सीलन पैदा होने से बनी भद्दी आकृतियां भी नकारात्मक ऊर्जा का सूचक होती हैं। ऐसी दीवारों की तुरंत रिपेयरिंग करवा लें। 36. . घर की छत पर कबाड़ा अथवा फालतू सामान न रखें। यदि जरुरी हो तो एक कोने में रखें। कबाड़ा व फालतू सामान रखने से परिवार के सदस्यों के मन-मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है। इससे पितृ दोष भी लगता है। 37. घर जितना प्राकृतिक लगेगा उतना ही उसका आभामंडल उन्नत होगा। घर का प्राकृतिक रूप देने के लिए आस-पास पेड़-पौधे, चारों ओर खुला हुआ स्थान, दूर से दिखने वाली दीवारों पर प्राकृतिक पत्थर, गमले आदि का उपयोग करें। 38. घर की आभा को कायम रखने के लिए जरुरी है कि घर का प्लास्टर उखड़ा हुआ न हो। यदि कहीं से थोड़ा सा भी प्लास्टर उखड़ जाए तो तुरंत उसे दुरुस्त करवाएं। 39. घर में कलर करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पेंट एक सा हो। शेड एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन शेड्स का तालमेल ठीक होना चाहिए।