नौकरी होगी या व्यापार

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Ravinder Pareek 13th Jun 2021

*कैसे जाने नौकरी होगी या व्यवसाय?*

हर कोई जानना चाहता है कि नौकरी करेंगे या व्यवसाय। किसी को नौकरी अच्छी लगती है तो किसी को व्यापार। हर कोई आजीविका कमाने के लिए अपनी पसन्द का कार्य करना चाहता है। कुंडली के द्वादश भाव, इनके स्वामी और इनका नवग्रह से संबंध का विश्लेषण कर यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति या जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय।
*नौकरी होगी या व्यापार*
    इन दोनों में से आजीविका का साधन क्या होगा? यह जानना हर कोई चाहता है, अपनी कुंडली का विश्लेषण करें। इसके लिए यहां अनमोल 17सूत्र दे रहे हैं, जिसके उपयोग से आप आसानी से जान सकेंगे कि आप नौकरी में सफल होंगे या व्‍यापार में।

1-यदि कुंडली का दूसरा भाव, दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध छठे भाव या इसके स्वामी से होगा तो समझ लें कि आप नौकरी करेंगे।
2-छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है। छठे भाव का कारक भाव शनि है। दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी ही करता है।
3-यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी व सप्तम भाव बली हो तो व्यवसाय को चुनना चाहिए।
4-वृष, कन्या व मकर व्यापार की प्रमुख राशियां हैं।  चन्द्र, गुरु, बुध तथा राहु ग्रह व्यापार की सफलता में मुख्य भूमिका निभाते हैं। यह जान लें कि पंचम व पंचमेश का दशम भाव से संबंध हो तो शिक्षा जो प्राप्त हुई है वह व्यापार या व्यवसाय में काम आती है।


5-लग्नेश, सप्तमेश, लाभेश, गुरु, चन्द्रमा का बली होना या केन्द्र त्रिकोण में स्थित होना व्यवसाय में सफलता दिलाता है।
6-सर्वाष्टक वर्ग में दशम की अपेक्षा एकादश में अधिक अंक हों एवं द्वादश में कम अंक हों और द्वादश की अपेक्षा प्रथम में अधिक अंक हों तो जातक की आजीविका अच्छी होती है।
7-द्वितीय, दशम व एकादश का संबंध सप्तम भाव से हो तो जातक व्यापार में सफलता प्राप्त करता है।
8-नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
9-प्रायः देखा गया है कि लग्न व लग्नेश को जो ग्रह सबसे अधिक प्रभावित करते हों जातक उसके अनुसार वृत्ति से आजीविका कमाता है।
10-द्वादश भाव का स्वामी यदि 1, 2, 4, 5, 9, 10वें भाव में स्थित हो तो जातक नौकरी करता है।
दशमेश या दशम भाव में स्थित ग्रह दशमांश कुंडली में चर राशि में स्थित हो तो जातक नौकरी में अधिक सफलता पाता है। 
11-दशमांश कुंडली के लग्न का स्वामी एवं जन्म लग्न के स्वामी की तत्त्व राशि एक हो तो जातक व्यापार में सफलता पाता है।
12-यदि सर्वाष्टक वर्ग में दसवें भाव में सर्वाधिक अंक हों तो जातक निजी व्यवसाय में सफलता पाता है।
यदि छठे भाव में सर्वाधिक अंक सर्वाष्टक वर्ग में हों तो जातक नौकरी में सफलता पाता है और दूसरों के आधीन कार्य करता है।
13-शनि से दशम व एकादश में अधिक अंक सर्वाष्टक वर्ग में हों तो जातक नौकरी में उच्च पद प्राप्त करता है।
14-व्यापार में सफलता के लिए केन्द्र व त्रिकोण का परस्पर संबंध होना अत्यावश्यक है। यदि है और इनके स्वामियों की दशा आती है तो व्यापार में सफलता अवश्य मिलेगी।
15-यदि तृतीयेश व मंगल बली व उच्च के हैं तो जातक का व्यवसाय उच्च व लाभदायी होगा एवं यश दिलाएगा। यदि निर्बल एवं कमजोर है तो छोटे व्यापार या दुकान से आजीविका कमाकर निर्वाह होगा।
16-यदि वृष तथा तुला के नवांश में आत्मकारक ग्रह स्थित हो तो जातक बड़ा व्यापारी बनता है।
17-आजीविका विचार में बीस से पैंतालिस वर्ष तक की दशा अन्तर्दशा का विशेष महत्व है। अतः आजीविका विचार करते समय इन पर भी दृष्टि डालनी चाहिए।
     प्रायः देखा गया है कि सूर्य, चन्द्र व दशमेश से दसवें भाव के स्वामी जिस नवांश में स्थित हो उसके अनुसार आजीविका होती है। वह उसी कार्य से धन अर्जित करके जीवनयापन करता है। 
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 🌹रविंद्र पारीक, वास्तुकार एवं ज्योतिर्विद 🌹
 
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Astro SPSingh

Good


rakeshperiwal

very good


Astro RakeshPeriwal

good


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