शुक्र ग्रह

Share

Astro Rakesh Periwal 22nd Jan 2019

ज्योतिष ज्ञान

शुक्रग्रह परिचय भावानुसार फल एवं शांत्यर्थ उपाय

शुक्र प्रेम वासना, आकर्षण शक्ति सुंदरता आदि का कारक ग्रह है,यह शुभ ग्रह है।शुक्र जातक की जीवनी शक्ति का कारक है।इसके बली और शुभ होने से जातक प्रसन्न रहने वाला और प्रेम भावना से पूर्ण होता है।शुक्र पुरुष की कुंडली में पत्नी, प्रेमिका, दाम्पत्य जीवन, वीर्य, पुरुषार्थ, कामवासना का कारक है।इसके आलावा यह खूबसूरत वस्तुओ, अच्छे कपडे, भोगविलास,सांसारिक उपयोगो का प्रमुख कारक है।यह व्यवसाय में होटल व्यवसाय, कॉस्मेटिक, सुंदरता से सम्बन्धीय व्यवसाय का कारक है।जिन जातको का शुक्र बली होकर लग्न, पंचम भाव, पंचमेश से सम्बन्ध रखता है ऐसे जातको की ओर विपरीत लिंग के व्यक्ति बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है।5वे भाव , भावेश से किसी पुरुष जातक की कुंडली में बलीशुक्र का सम्बन्ध होने से जातक विपरीत लिंगी के प्रेम के लिए उतावला रहता है ऐसे जातक के प्रेम प्रसंग होते भी है।पाचवे भाव, भावेश ,शुक्र पर यदि पाप ग्रहो शनि राहु में से किन्ही दो या तीनो ग्रहो का प्रभाव होने से प्रेम प्रसंग में दुःख मिलता है शनि राहु केतू ग्रह प्रेमी या प्रेमिका से जातक या जातिका को लड़ाई झगड़ा कराकर या उनके बीच गलत फेमिया कराकर या किसी अन्य तरह से अलग कर देते है।यदि ऐसी स्थिति में बली गुरु का प्रभाव् शुक्र और पंचमेश पंचम भाव पर होता है तब अलगाव नही होता।इसी तरह की स्थिति यदि सप्तम भाव भावेश, और शुक्र से बनती है तब पत्नी से अलगाव होता है।स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव, भावेश और गुरु पर शनि राहु केतु का प्रभाव, सप्तम भाव सप्तमेश पर गुरु की खुद की और अन्य शुभ ग्रहो बली शुक्र पूर्ण बली चंद्र और शुभ बुध का प्रभाव न होने से पति से अलगाव होता है।                                                                       शुक्र प्रधान जातको के बाल अधिकतर घुंघराले होते है।शुक्र जातक को रोमांटिक ज्यादा बनाता है।शुक्र केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होकर कुंडली के केंद्र १-४-७-१० या ५-९ त्रिकोण भाव में होने पर व  ६ या १२ वे भाव में बैठने पर बली शुक्र जातक को  पूर्ण तरह से अपने फल देता है।यदि पीड़ित होगा तब फल में कमी और अशुभ फल भी करेगा।जिन जातको को शुक्र के अशुभ फल मिल रहे है या शुक्र के शुभ फलो में कमी आ रही है वह जातक शुक्र के मन्त्र "ॐ शुं शुक्राय नमः" का जप करे, शुक्र यदि कुंडली में योगकारक है किसी शुभ भाव का स्वामी है तब शुक्र का रत्न ओपल पहनना शुभ रहेगा।मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न के जातको को बिना कुंडली दिखाए शुक्र का रत्न नही पहनना चाहिए क्योंकि इन लग्न की कुंडलियो में शुक्र की स्थिति मारक, और नैसर्गिक रूप से योगकारक या बहुत अनुकूल नही होती जिस कारण शुक्र का रत्न बिना कुंडली दिखाए नही पहनना चाहिए।एक बात ओर भी कभी भी नीच राशि के ग्रह का रत्न नही पहनना चाहिए।इसके आलावा शुक्र के लिये लक्ष्मी पूजन, खुशबूदार वस्तुओ का उपयोग करे, अच्छे और साफ कपडे पहने, शुक्र यंत्र को सफ़ेद चन्दन से भोजपत्र पर बनाकर शुक्रवार के दिन अभिमंत्रित करके सफ़ेद धागे में बांधकर अपने गले या हाथ की बाजु पर बंधना चाहिए। गाय की सेवा करने से शुक्र के शुभ फल में वृद्धि होती है

 

शुक्र👉  जन्मकालीन राशि से १,२,३,४,५,८,९,११ और १२ वें भाव में सामान्यतः शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

कुंडली के १२ भावों में शुक्र ग्रह का प्रभाव

〰〰🔸〰〰🔸〰〰🔸〰〰🔸〰〰

जिन जातको के लग्न स्थान में शुक्र👉 उसका अंग-प्रत्यंग सुंदर होता है। श्रेष्ठ रमणियों के साथ विहार करने को लालायित रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घ आयु वाला, स्वस्थ, सुखी, मृदु एवं मधुभाषी, विद्वान, कामी तथा राज कार्य में दक्ष होता है।

 

दूसरे स्थान पर शुक्र👉 जातक प्रियभाषी तथा बुद्धिमान होता है। स्त्री की कुंडली हो तो जातिका सर्वश्रेष्ठ सुंदरी पद प्राप्त करने की अधिकारिणी होती है। जातक मिष्ठान्नभोगी, लोकप्रिय, जौहरी, कवि, दीर्घजीवी, साहसी व भाग्यवान होता है।

 

तीसरे भाव में शुक्र👉 ऐसा जातक स्त्री प्रेमी नहीं होता है। पुत्र लाभ होने पर भी संतुष्ट नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति कृपण, आलसी, चित्रकार, विद्वान तथा यात्रा करने का शौकीन होता है।

 

चतुर्थ भाव में शुक्र👉 जातक उच्च पद प्राप्त करता है। इस व्यक्ति के अनेक मित्र होते हैं। घर सभी वस्तुओं से पूर्ण रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु, परोपकारी, आस्तिक, व्यवहारकुशल व दक्ष होता है।

 

पांचवें भाव में शुक्र👉 शत्रुनाशक होता है। जातक के अल्प परिश्रम से कार्य सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति कवि हृदय, सुखी, भोगी, न्यायप्रिय, उदार व व्यवसायी होता है।

 

छठे भाव मे शुक्र👉 जातक के नित नए शत्रु पैदा करता है। मित्रों द्वारा इसका आचरण नष्ट होता है और गलत कार्यों में धन व्यय कर लेता है। ऐसा व्यक्ति स्त्री सुखहीन, दुराचार, बहुमूत्र रोगी, दुखी, गुप्त रोगी तथा मितव्ययी होता है।

 

सातवें स्थान का शुक्र👉 खूबसूरत जीवन साथी का संकेत देता है। इस स्थान में शुक्र व्यक्ति को काम भावनाओं की ओर प्रवृत्त करता है। व्यक्ति कलाकार भी हो सकता है।

 

आठवें स्थान में शुक्र👉 जातक वाहनादि का पूर्ण सुख प्राप्त करता है। वह दीर्घजीवी व कटुभाषी होता है। इसके ऊपर कर्जा चढ़ा रहता है। ऐसा जातक रोगी, क्रोधी, चिड़चिड़ा, दुखी, पर्यटनशील और पराई स्त्री पर धन व्यय करने वाला होता है।

 

नवम स्थान पर शुक्र👉 जातक अत्यंत धनवान होता है। धर्मादि कार्यों में इसकी रुचि बहुत होती है। सगे भाइयों का सुख मिलता है। ऐसा व्यक्ति आस्तिक, गुणी, प्रेमी, राजप्रेमी तथा मौजी स्वभाव का होता है।

 

दशम भाव में शुक्र👉 वह व्यक्ति लोभी व कृपण स्वभाव का होता है। इसे संतान सुख का अभाव-सा रहता है। ऐसा व्यक्ति विलासी, धनवान, विजयी, हस्त कार्यों में रुचि लेने वाला एवं शक्की स्वभाव का होता है।

 

ग्यारहवें स्थान पर शुक्र👉 जातक प्रत्येक कार्य में लाभ प्राप्त करता है। सुंदर, सुशील, कीर्तिमान, सत्यप्रेमी, गुणवान, भाग्यवान, धनवान, वाहन सुखी, ऐश्वर्यवान, लोकप्रिय, कामी, जौहरी तथा पुत्र सुख भोगता हुआ ऐसा व्यक्ति जीवन में कीर्तिमान स्थापित करता है।

 

बारहवें भाव में शुक्र👉 तब जातक को द्रव्यादि की कमी नहीं रहती है। ऐसा व्यक्ति स्‍थूल, परस्त्रीरत, आलसी, गुणज्ञ, प्रेमी, मितव्ययी तथा शत्रुनाशक होता है।

 

अरिष्ट शुक्र की शांति के उपाय एवं टोटके

〰〰🔸〰〰🔸🔸〰〰🔸〰〰

शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए। 

 

अथवा रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है।

 

शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है।

 

इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है।

 

शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें।

 

मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें।

 

ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं। 

 

अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं। 

 

शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

 

वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें।

 

काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।

 

शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।

 

किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

 

किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

 

अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

 

किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

 

शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।

 

शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

 


Like (0)

Comments

Post

Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

Top