अब हम राशि के तीसरे चरण में प्रवेश करते है.... राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन है सभी से अलग विचित्रता लिए हुए इसकी हर कला में अलग ही अद्भुत गुण सामने आता है , यह वायु तत्व को लिए हुए व्यक्ति को चंचल खुले विचारों सर्वव्यापी उच्चखल स्वभाव का बनाती है ऐसे व्यक्ति एक जगह टिक कर काम न करके हर क्षेत्रों में पाँव पसारते है यह भुजा का प्रतिनिधित्व करती शीर्षोदय द्विपद हरे रंग से सुशोभित है द्विस्वभाव राशि होने से सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता अद्भुत होती है या तो खुद ही वे वातावरण में ढल जाते है या वातावरण को अपने अनुसार ढाल लाते है सौम्य दिखते है पर कब कठोर रूखा व्यवहार करें पता नही चलता ! पश्चिम दिशा का स्वामी रात्रि में बलि चोरस वर्गाकार सा शरीर । इस के स्वामी राजकुमार बाल बुध है जो बुद्धिमान गणितज्ञ वाकपटु रचनात्मक शिल्पी मार्केटिंग कला में निपुण व साहित्यकार बुध है लगन व पंचम तृतिय भाव बुध बलवान हो तब इसे गुण आपको देखने मे अवश्य ही मिल जायेंगे "इसकी टोपी उसके सिर उसकी तीसरे के सिर"ये कला बुध के व्यक्ति में बहुत सटीक आती है इनकी Grasping Power बहुत कमाल की होती है गांव में निवास है मिथुन राशि का गहराई के विषय जैसे ज्योतिष आदि में इनका झुकाव ज्यादा होता है हाजिर जवाबी देना बुध को बचपन और यौवन दोनो से जोड़ा जाता है अतः एक ओर बाल स्वभाव से जिज्ञासा बनी रहती है वही दूसरी ओर युवा की तरह संसार को मुट्ठी में बंद करने की चाह भी...! जैसा कि कहा था विचित्र बात होती है मिथुन राशि मे मिथुन राशि का चिन्ह एक स्री-पुरुष का जोड़ा है स्त्री हाथ मे वीणा और पुरुष के हाथ मे गदा है अब देखे :-विणा जहा मधुर तानो के कोमल स्पन्दन स्वर से मन-मस्तिष्क को शांत करती है वही गदा कठोरता का भाव लिये मानो युद्ध को ललकारती है इसी तरह इस राशि के व्यक्ति कोमल soft भावुक शिल्पी है वही दूसरी ओर आधुनिक compitition में अपनी मार्केटिंग प्रतिभा से दृढ़ रहकर मिट्टी भी सोना कहकर विक्रय करके विजय हासिल करते है लेखन कार्य साहित्य भी बुध के विषय है आप देखेंगे जितने भी writter हुए है उनकी जन्मपत्रिका में बुध की स्थिति बलवान होती है बुध बहुत अच्छा sense of humar है जो वाक्पटुता के साथ मिलकर उच्चकोटि का व्यग्य तैयार करता है और खास बात ये मजाक ऐसे करते है कि हर किसी को समझ में नही आते और बुरा भी नही लगते मिथुन के नेतत्व में मृगशिरा आर्द्रा पुनर्वशु नक्षत्र आते है