ग्रहण काल में जीवन में मंत्रों से लाभ कैसे मिलता है।
"/>सूर्य आत्मा है। आत्मा पर जब राहु का प्रभाव रहेगा तो, जीवन के सामने संकट खड़ा होता है, आत्मा तो प्रत्येक जीव में होती है। इस लिए सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होता है। वह भी सूर्य जिस नक्षत्र के चरण में होगा, उस नक्षत्र चरण वाले *व्यक्ति, देश, शहर, गांव को प्रभावित करेगा।मृगशिरा,आर्द्रा नक्षत्र व* *मिथुन,राशि को प्रभावित करेगा।* क्योकिं वह नक्षत्र का फल दे रहा है। सूतक 12 घंटे पहले मान्य होंगे। *सूतक का समय 20 जून रात्रि 10:15 बजे से* *ग्रहण काल का स्पर्श 21 जून प्रातः 10:15 बजे से 1:45 बजे दोपहर तक विशेष रुप से ग्रहण पड़ेगा।* *ग्रहण काल में जपनीय मन्त्र*-- ॐ घृणि सर्याय नमः, आदित्य हृदय स्तोत्र , गायत्रीमंत्र,महामृत्युंजय आदि। अथर्वेद-- कांड19, सूक्त9, मन्त्र-10 शं ग्रहाश्चान्द्रमसा: शभा दित्य श्च राहुणा।शं नो मृत्युरधुमकेतु: श रुद्रास्तिगमतेजस:।। अर्थात-चन्द्र मण्डल के ग्रह, राहु से ग्रस्त सूर्य, धूमकेतु का अनिष्ट और रुद्र के तीक्ष्ण कष्ट देने वाले उपद्रव शांति प्रद हो। चन्द्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण हमें शांति दे, समृद्धि दे, हमे आनन्द दे, व सभी अनिष्टों को शांत करें। ॐ हरि ॐ। प्रणाम। जय सीताराम।