*मकर संक्रांति 14 जनवरी को पुण्यकाल, पुण्य नदियों में स्नान से मिलता है लाभ* इस महीने 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 14 तारीख को प्रातः सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। प्रातःकाल 14 जनवरी को पुण्यकाल में मकर संक्रांति में तिल/गुड़ गर्म कपड़े/ स्नान दान करना उत्तम रहेगा! जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े का दान करना चाहिए। शहर के "धारूहेड़ा चुंगी" स्थित ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री के अनुसार 14 तारीख को खरमास समाप्त हो जाएगा। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे (यानी) उत्तर की ओर सूर्य का अग्रसर माना जाता है। सूर्य उत्तरायण का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में बताया है और महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर अपने स्वेच्छा अनुसार शरीर का त्याग किया था। वैसे_संक्रांति वर्ष में 12 होती हैं लेकिन सूर्य जब अपने पुत्र शनि की मकर राशि में 1 माह के लिए प्रवेश करते हैं तो यह दिन पिता पुत्र के संबंधों को निकटता के रूप में देखा जाता हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन से "देवताओं" के *दिन* की शुरुआत होती है और शुभकार्य शुरू हो जाते हैं। उत्तर भारत में इस त्यौहार को "मकरसंक्रांति" के नाम से जाना जाता है और दक्षिण भारत में इसे "पोंगल" नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पुण्य नदियों में स्नान करने का महत्व है, गंगा,यमुना,नर्मदा,शिप्रा, गोदावरी आदि पुण्य नदियों में स्नान करने का महत्व है। स्नान करने के बाद में सूर्य भगवान को जल देकर सूर्य नमस्कार करना चाहिए। आदित्य स्तोत्र,गायत्री मंत्र आदि का जप करना चाहिए। यदि नदी में स्नान नहीं कर पा रहे तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। *व्यापारी व शिक्षित वर्ग के लिए फलदायी रहेगा, लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा* मकर संक्रांति इस वर्ष पीतांबरी वस्त्रों में व्याघ्र (बाघ) पर सवार होकर आएगी। उप वाहन अश्व (घोड़ा) होगा। शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए मकर संक्रांति इस बार शुभ फलदायी रहेगी। तिथि को लेकर भी इस बार कोई संशय नहीं है। सुबह से शाम तक पूर्ण रूप से पर्व रहेगा। 14 जनवरी की सुबह 8:56 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अगर सूर्य ग्रह सूर्यास्त के पहले राशि परिवर्तन करते हैं तो संक्रांति का पुण्यकाल उसी दिन माना जाता है। इस वर्ष सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन प्रात:काल में ही हो रहा है। ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व शास्त्रीय मतानुसार 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा। सुबह राशि परिवर्तन करने से संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी सुबह से शाम 5:55 तक बजे रहेगा। महा-पुण्य काल सुबह 9:03 से 10:52 बजे तक रहेगा। इस दौरान धर्म-पुण्य कार्य करना अधिक फलदायी रहेगा। ज्योतिषाचार्य अजय शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन का साक्षी होता है। मान्यता के अनुसार इसी दिनभगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। *राशि अनुसार क्या करें दान* मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। कुंभ एवं मकर राशि वालों को काले तिल का दान करना चाहिए। मेष, तुला, सिंह और मिथुन राशि के जातक कंबल दान करें। वृश्चिक, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए चावल और फल का दान करना लाभकारी होगा। वृषभ और कन्या राशि के जातक वस्त्र दान कर सकते हैं। कर्क राशि वाले दूध या घी दान दान करें। अनाज का भंडार बढ़ेगा। इस साल की मकर संक्रांति विद्वान और शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए काफी अच्छी रहने वाली है। व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है। अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मधुरता आएगी। देश के अनाज के भंडारण में वृद्धि होगी। सूर्य तिथि वाला अनोखा पर्व अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन मकर संक्रांति पर्व सूर्य के चारों ओर पृथ्वी द्वारा की जाने वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता है। जब सूर्य राशि बदलकर उत्तरायण होते हैं तब संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।