importance of suryadev 's pooja

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Deepika Maheshwari 14th Jul 2019

जानें क्या है सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे ज्योतिषीय तथ्य और विश्वास ! सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान करता है। इसे आकाशगंगा के सभी सितारों का पिता माना जाता है। वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्मशास्त्र में इसे विशेष महत्व प्रदान की गयी है। जीवन में मौजूद विभिन्न दोषों से छुटकारा पाने के लिए लोगों के द्वारा विभिन्न रूपों से सूर्य की प्रार्थना की जाती है। सूर्य को अर्घ्य या जल अर्पित करना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पृथ्वी पर निवास करने वाले विभिन्न लोगों के जीवन में असाधारण परिणाम लाता है। सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है ? ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है तो व्यक्ति का दिन अच्छे तरीके से शुरू होता है। प्राचीन काल में लोग तालाब या नदी में स्नान करते समय अर्घ्य देते थे, लेकिन अब शहरीकरण ने इस प्रथा को पूरी तरह से मिटा दिया है। आज लोग अपने भव्य और आरामदायक बाथरूम में स्नान करना पसंद करते हैं। हालाँकि अर्घ्य देने का आज भी अपना अलग महत्व है क्योंकि यह व्यक्ति की आत्मा और मन को ऊर्जा प्रदान करता है। यदि इस अनुष्ठान को नियमित रूप से किया जाए तो भाग्य आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा। आईये जानते हैं सूर्य को अर्घ्य देने के ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारणों के बारे में। सूर्य को अर्घ्य देने का ज्योतिषीय महत्व ग्रह सूर्य अपने निडर और निर्भीक स्वभाव के लिए जाना जाता है। लिहाजा सूर्य को अर्घ्य देने से इसके ये विशेष गुण व्यक्ति के अंदर भी विद्यमान हो जाते हैं। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से व्यक्ति अपनी कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति बना सकता है। प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति अपनी कुंडली में शनि के प्रभाव को भी कम कर सकता है। यदि व्यक्ति विशेष रूप से रोजाना इस नियम का पालन करता है तो इससे उसके जीवन पर पड़ने वाले शनि के हानिकारक प्रभाव अपने आप कम हो जाते हैं । खासतौर से यदि कुंडली पर पड़ने वाले सूर्य की दशा के तहत इस अनुष्ठान को किया जाए तो विनाशकारी परिणामों की अपने आप ही समाप्ति हो जाती है। चन्द्रमा में जल का तत्व निहित होता है और जब व्यक्ति सूर्य को अर्घ्य देता है तो, इन दोनों ग्रहों से बनने वाले शुभ योग स्वयं ही व्यक्ति की कुंडली में सक्रिय हो जाते हैं। सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व वैज्ञानिक आधारों पर ऐसा माना गया है कि सूर्य को अर्पित की गयी पानी की एक-एक बूँद एक ऐसे माध्यम के रूप में काम करती है जिससे सूर्य की किरणें शरीर के अंदर प्रवेश करती हैं। शरीर के अंदर सूर्य की किरणें पहुंचने के बाद सात अलग-अलग रंगों का निर्माण करती हैं। ये सात रंग मनुष्य के शरीर में मौजूद सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारे वातावरण में रहने वाले विभिन्न जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान करती है। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से व्यक्ति की आँखों की रोशनी भी तेज होती है। सूर्य को अर्घ्य विशेष रूप से सुबह के समय सूर्योदय के वक़्त ही दी जानी चाहिए। नियमित रूप से इस अनुष्ठान को करने से व्यक्ति के शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं क्योंकि सुबह की सूर्य की किरणें व्यक्ति की सेहत को स्वस्थ्य रखने के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं। सूर्य को अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान अर्घ्य देने के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी को लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल के साथ मिश्रित करना चाहिए। अर्घ्य अर्पित करते समय सूर्य की किरणों पर ध्यान दें क्योंकि वे हल्के होने चाहिए ना कि बहुत तेज़। प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देते वक़्त सूर्य मंत्र “ॐ सूर्याय नमः” का करीबन ग्यारह बार जाप करें। अर्घ्य देने के बाद, सूर्य मुख करके तीन परिक्रमा पूरी करें। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए केवल तांबे का बर्तन या ग्लास ही प्रयोग करें। इस दौरान विशेष रूप से “ॐ आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि तन्नो भानु प्रचोदयात् |” गायत्री मंत्र का भी जाप किया जा सकता है। चूँकि सूर्य पूर्व दिशा में उगता है इसलिए अर्घ्य भी उसी दिशा में अर्पित किया जाना चाहिये। ये कुंडली में त्रिकोण भाव (1, 5 वां और 9 वां घर) कागठनकरता है जिसे व्यक्ति की कुंडली में सबसे ज्यादा लाभदायक माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में विशेष सफलता मिलती है। हम आशा करते हैं कि इस लेख के जरिये आपको सूर्य को अर्घ्य देने के ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व का ज्ञान होगा।


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आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।

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