एस्ट्रो प्रमोदकुमार त्रिपाठी

"/> Consultation & Coaching By Experts(Astrologer, Psychologist, Yoga/Naturopathy, Ayush Doctor, Career Consultant, Business Consultant, Finance Consultant, Legal Consultant, Startup Coach)

पंचक का परिचय

Share

Pramod Tripathi 27th Sep 2020

पंचक का परिचय

---------------------

चंद्रमा जंब धनिष्ठा के तीसरे  चरण  में   पूर्वा भाद्रपद ,उत्तरा भाद्र पद, व रेवती  नक्षत्र तक पंचक होता  ।

जब चंद्रमा मेंष राशि और अश्वनी नक्षत्र पर आता है।तब पंचक समाप्त होता है।

पंचक में न करने योग्य कार्य :

---------------------------------- :

1 पंचक में पलग बनवाना बड़े संकट को न्योता देेना है । 2 दक्क्षिन दिशा की यात्रा नही   करना  चाहिए।

3 धनिसठ|  मे घास,लकडी,ईधन एकत्रित नही करना चाहिए।

4 शतभिषा मे कलह होता है।

5 पूर्वा भाद्रपद  रोग कारक  होता है |

6 उतरा भाद्र पद  मे धन  के रूप मे दंड  होता है |

7 रेवती  मे  घर की छत नहीं बनवाना चाहिए  धन हानि हो सकता है |

8 पंचक  मे  यदि कोई मर जाय तो जीतने  पंचक शेष है उतने पुतले बनाकर पहले उन्हे जलावे और पंचक शांति करावे तब शव दाह करे |

पंचक मे शुभ कार्य

----------------

1 धनिसठ| और शतभिखा नक्षत्र चल सज्ञक माने जाते है  इसमे चलित कार्य जैसे यात्रा करना (दक्षिण दिशा को छोड़कर ) वाहन खरीदना मशीनरी  कार्य

2 उतरा भाद्र पद स्थीर सज्ञक  होने से बीज बोन,  गृह प्रवेश , शांति पूजन ,जमीन से जुड़े कार्य करने मे सफलता मिलती है |

3 रेवती  नक्षत्र मैत्री सज्ञक होने से कपड़े ,व्यापार से सबंधित ,सौदे करना विवाद का निपटारा गहने खरीदना शुभ होता है |

पंचक मे कार्य जरूरी हो तो

-----------------------

1 यदि दक्षिण दिशा की यात्रा करना हो तो हनुमान मंदिर मे पाच फल चढ़ाए

2 यदि पंचक मे कोई मकान बन रहा हो तो या छत डालना हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के  बाद छत डालवानी चाहिए |

3 यदि चारपाई बनवानी जरूरी हो तो पंचक समाप्ति के बाद उस चारपाई का प्रयोग करे |

4 यदि लकड़ी का समान लेना अनिवार्य हो तो आप गायत्री यज्ञ करवा सकते है इससे पंचक के  प्रभाव दूर रहेगे

पंचक के प्रकार

--------------

1 राज पंचक : सोमवार से शुरू हुआ पंचक राज पंचक हो ता  है इस दौरान सरकारी कार्यों और सपत्ती से जुड़े विवाद का निदान होता है

2 अग्नि पंचक :मंगल वार से शुरू हुए पंचक के आग लगने का भय रहता है इसलिए यह शुभ नहीं होता है |

3 मृत्यु पंचक :शनिवार को शुरू हुआ पंचक`सबसे ज्यादा घातक होता है इस दिन किसी कार्य की शुरुवात की गई तो मृत्यु तुल्य तकलीफ होता है |इसलिए इस दिन जोखिम भरा कार्य नहीं करना चाहिए |

4 चोर पंचक : शुक्रवार  से शुरू हुआ पंचक को चोर पंचक कहते है |इस दिन यात्रा नहीं करना चाहिए और धन से जुड़ा कार्य नहीं करना चाहिए |धन की हानि हो सकती है |

5 बुध और गुरुवार का पंचक शुरू हो तो चारपाई और  न करने योग्य कार्य नहीं करना चाहिए |

प्रस्तुत कर्ता :प्रमोदकुमार त्रिपाठी एस्ट्रोलाजर

हरि ॐ

 


Like (2)

Comments

Post

Suman Sharma

very nice article by sir ji


Latest Posts

यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहव: स तु जीवति | काकोऽपि किं न कुरूते चञ्च्वा स्वोदरपूरणम् || If the 'living' of a person results in 'living' of many other persons, only then consider that person to have really 'lived'. Look even the crow fill it's own stomach by it's beak!! (There is nothing great in working for our own survival) I am not finding any proper adjective to describe how good this suBAshit is! The suBAshitkAr has hit at very basic question. What are all the humans doing ultimately? Working to feed themselves (and their family). So even a bird like crow does this! Infact there need not be any more explanation to tell what this suBAshit implies! Just the suBAshit is sufficient!! *जिसके जीने से कई लोग जीते हैं, वह जीया कहलाता है, अन्यथा क्या कौआ भी चोंच से अपना पेट नहीं भरता* ? *अर्थात- व्यक्ति का जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन से अन्य लोगों को भी अपने जीवन का आधार मिल सके। अन्यथा तो कौवा भी भी अपना उदर पोषण करके जीवन पूर्ण कर ही लेता है।* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।

न भारतीयो नववत्सरोSयं तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् । यतो धरित्री निखिलैव माता तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।। *यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। तथापि सबके लिए कल्याणप्रद हो ; क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।*- ”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:” *अत एव पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।* पाश्चातनववर्षस्यहार्दिकाःशुभाशयाः समेषां कृते ।। ------------------------------------- स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥ *आप सभी सदैव आनंद और, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें*... *विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें,* ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे.. *अंग्रेजी नव् वर्ष आगमन की पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं* ज्योतिषाचार्य बृजेश कुमार शास्त्री

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताआलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः | नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति || Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline. *मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |* हरि ॐ,प्रणाम, जय सीताराम।राम।